यहां आप अनुप्रास अलंकार की समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अलंकार किस श्रेणी में आते हैं भेद , उदाहरण आदि को बेहद सरल और विस्तृत रूप से समझने का प्रयत्न किया गया है।
यह अलंकार विद्यार्थियों की समस्याओं के स्तर को पहचान करते हुए लिखा गया है। अतः यहां विद्यार्थी के लिए बेहद उपयोगी है , जो परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण भी है। यह लेख आपको आपकी परीक्षा में सर्वाधिक अंक दिला सकते हैं।
अनुप्रास अलंकार
अलंकार – आभूषण , गहना यह सब एक ही शब्द के पर्याय हैं। जैसे स्त्री अपना सौंदर्य के लिए आभूषण पहनती है और अपने सौंदर्य को निखारती है उसी प्रकार से अलंकार वाक्य में शब्दों में प्रयोग होकर उस वाक्य की सौंदर्य को बढ़ाता है। साधारण अर्थ में अलंकार वह है जो किसी वस्तु को अलंकृत करें।
‘अलंकार’ कविता को सौंदर्य प्रदान करता है। अलंकार तीन प्रकार के माने गए हैं –
- शब्दालंकार
- अर्थालंकार
- उभयालंकार
शब्दालंकार
- ध्वनि के आधार पर इसकी पहचान होती है।
- इसमें लयात्मकता होती है।
- शब्दालंकार में प्रयुक्त शब्द का स्थान उसका पर्यायवाची नहीं ले सकता।
मुख्य अलंकार – अनुप्रास , यमक , पुनरुक्ति , वीप्सा , वक्रोक्ति , श्लेष है।
अर्थालंकार – उपमा , रूपक , उत्प्रेक्षा , अतिशयोक्ति , अन्योक्ति आदि।
अनुप्रास अलंकार
१ अनुप्रास अलंकार में एक ही व्यंजन की आवृत्ति बार-बार होती है।
२ स्वरों की भिन्नता होते हुए भी एक या एक से अधिक वर्णों की निरंतर आवृत्ति अनुप्रास अलंकार कहलाता है।
३ वर्णों की बार-बार आवृत्ति से काव्य सौंदर्य की वृद्धि होती है काव्य में चमत्कार उत्पन्न होता है यहां अनुप्रास अलंकार माना जाता है।
४ जहां व्यंजन वर्णों की आवृत्ति बार-बार होती है वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
अनुप्रास का अर्थ है वस्तु को अनुक्रम में रखना। इसके तीन भेद है – छेकानुप्रास , वृत्यनुप्रास , लाटानुप्रास।
अनुप्रास अलंकार उदाहरण –
१ मुदित महिपति मंदिर आए। सेवक सचिव सुमंत बुलाए ( ‘म’ और ‘स’ की आवृत्ति )
२ बंदौ गुरु पद पदुम परगा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा ( ‘प’ और ‘स’ की आवृत्ति )
३ चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में ( ‘च’ की आवृत्ति )
४ विमल वाणी ने वीणा ली ,कमल कोमल क्र में सप्रीत। ( ‘व’ ,ण , क , ल , की आवृत्ति )
५ रघुपति राघव राजा राम ( ‘र’ की आवृत्ति )
६ कालिका सी किलकि कलेऊ देती काल को ( ‘क’ की आवृत्ति )
७ कल कानन कुंडल मोर पखा उर पे बनमाल विराजती है ( ‘क’ की आवृत्ति )
८ कालिंदी कूल कदंब की डारिन ( ‘क’ की आवृत्ति )
९ कूकै लगी कोयल कदंबन पर बैठी फेरि। ( क वर्ण की आवृति हुई है )
१० तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए ( ‘त’ की आवृत्ति )
११ प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि ( ‘क’ की आवृत्ति )
१२ बरसत बारिद बून्द गहि ( ‘ब’ की आवृत्ति )
१३ चमक गई चपला चम चम ( ‘च’ की आवृत्ति )
१४ कुकि – कुकि कलित कुंजन करत कलोल ( ‘क’ की आवृत्ति )
१५ रावनु रथी विरथ रघुवीरा ( ‘र’ की आवृत्ति )
१६ खेदी -खेदी खाती दीह दारुन दलन की ( ‘ख’ और ‘द’ की आवृत्ति )
१७ हमारे हरि हारिल की लकरी ( ‘ह’ की आवृत्ति )
१८ तू मोहन के उरबसी हवे उरबसी समान
१९ गुरु पद रज मृदु मंजुल
२० चरर मरर खुल गए अरर रवस्फुटों से।
२१ कंकन किंकिन नूपुर धुनि सुनि। कहत लखन सं राम ह्रदय गुनि। । (क , वर्ण की आवृत्ति हो रही है )
२२ बुझत स्याम कौन तू गोरी। कहाँ रहत काकी है बेटी। ( क , वर्ण की आवृत्ति हो रही है )
२३ गुन करि मोहि सूर सँवारे को निरगुन निरबैहै। ( स तथा न , वर्ण की आवृत्ति हो रही है। )
२४ सहज सुभाय सुभग तन गोरे।
२५ जब तुम मुझे मेले में मेरे खिलोने रूप पर।
२६ संसार सारा आदमी की चाल देख हुआ चकित।
२७ पेट पीठ दोनों मिलकर है एक , चल रहा लकुटिया टेक। ।
२८सुंदर सुठि सुकुमार , बिबिध भांति भूषन बसन। ।
२९ अति अगाधु अति औथरौ नदी कूप सरु बाइ।
३० चढ़ तुंग शैल – शिखरों पर सोम पियो रे।
३१ पुरइन पात रहत ज्यों जल मन की मन ही माँझ रही।
३२ घेर घेर घोर गगन शोभा श्री।
३३ राम नाम-अवलंब बिनु परमार्थ की आस , बरसत बारिद बूँद गहि चाहत चढ़न अकास।
३४ रावनु रथी बिरथ रघुबीरा।
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निष्कर्ष –
अनुप्रास अलंकार का अध्ययन कर हमने पाया यह काव्य की शोभा को बढ़ाते हैं। इसकी मुख्य पहचान वर्णों की आवृत्ति एक से अधिक बार होती है वहां अनुप्रास अलंकार माना जाता है।
अलंकार काव्य की शोभा को बढ़ाते हैं , जिस प्रकार स्त्रियां अपने रूप को निखारने के लिए सौंदर्य प्रसाधन तथा आभूषणों का प्रयोग करती हैं उसी प्रकार अलंकार काव्य में आभूषण का कार्य करती है।
यहां दिए गए कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण है जो परीक्षा में अधिकतर पूछे जाते हैं। किसी भी समस्या या कठिनाई के लिए कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते हैं।
इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. अनुप्रास अलंकार के बारे में आपने लगभग सब कुछ समझा दिया है जिसके कारण मुझे यह वाला टॉपिक समझ में आ गया और अब मुझे लगता है कि परीक्षा में अच्छे अंक आएंगे.
अनुप्रास अलंकार को इतने विस्तृत और बेहतर तरीके से समझाने के लिए लेखक का धन्यवाद. कृपया उदाहरण और भी डालने का प्रयास करें ताकि एक ही जगह पर सारी सामग्री हम जैसे विद्यार्थी लोगों को प्राप्त हो सके.
मईया मोरी मैं नहीं माखन खायो भी एक अच्छा उदाहरण हो सकता है अनुप्रास अलंकार का.
जी हां ये भी अनुप्रास अलंकार ही है, क्योंकि इसमें म का प्रयोग बार बार हो रहा है
क्या नीचे दिया गया लाइन भी अनुप्रास अलंकार हो सकता है
करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
अगर किसी को पता है तो जरूर बताएं
Thank you for posting anupras alankar ka udahran.
वृत्यनुप्रास
प्रतीप अलंकार
Vaise book me hai lekin thoda difficult hai…
Aur yha short and good…
Thanks for posting this.
जी हां ये भी अनुप्रास अलंकार ही है।
दृष्टांत अलंकार होता है
दीरघ-दाघ निदाघ’ में कोन सा अलंकार
Anupras alankar hai
अनुप्रास अलकार के भेदो के भी उदहारण दो
सुनहु संदेसा सुरत सनेही कहूं संदेसा अचल बिदेही
जुग अनंत हम आन पुकारा कोई न माना बचन हमारी
Bahut acha post hai ji
Thank you for providing an informational article on topic anupras alankar