Hindi kavita – ab hum bade ho gaye hain
अब हम बड़े हो गए हैं कविता – hindi kavita
ममता का दामन छोड़कर
पिता से मुँह मोड़कर
व्यर्थ प्रेम की मोह माया में पड़कर
रुख से अपने परे हो गए है
अब हम बड़े हो गए हैं। ।
अश्लीलता की सीढिया चढ़कर
बचपन की ठिठोलियां भूलकर
माता – पिता को अनदेखा कर
पांव पर अपने खड़े हो गए हैं
अब हम बड़े हो गए है। ।
पिता की कमाई से दिल नहीं भरता
स्वयं कमाने को जी नहीं करता
रिश्ते नाते सब तोड़कर
दिल भी पत्थर से कड़े हो गए हैं
अब हम बड़े हो गए हैं। ।
बचपन में पिता का पुचकारना
माता का प्रेम से लोरी सुनना
रूत जाने पर चॉकलेट देकर मनना
वो सब गीली मिटटी के घड़े हो गए हैं
अब हम बड़े हो गए हैं। ।
यह कविता श्याम यादव ने संगम विहार दिल्ली से भेजा है यह कक्षा 12 के विद्यार्थी है । इन्होने ईमेल के द्वारा हिंदी विभाग तक अपनी कविता पंहुचाई है ।
sir,