फिरोजशाह कोटला
मोहम्मद बिन तुगलक के उत्तराधिकारी फिरोजशाह तुगलक ने सन 1354 में यमुना नदी के दाहिने किनारे पर दिल्ली का पांचवा मध्ययुगीन शहर फिरोजाबाद बनवाया था।
उस काल के बहुत ज्यादा जनसंख्या वाले इस नगर के भग्नावशेष दक्षिण में हौज खास से लेकर उत्तर की हरियाली पट्टी तथा पूर्व की यमुना के किनारे तक फैले है। मुख्य अवशेष यमुना के किनारे स्थित कुश्क – ए – फिरोज था फिरोजशाह का महल है।
यह भी पढ़ें – तुगलकाबाद राजधानी के रूप में कब बसाया गया
इस महल की एक खास विशेषता ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी के लाल बलुआ पत्थर का पॉलिश किया गया सुंडाकार एकाश्म स्तंभ है। जिसे अशोक स्तंभ के नाम से जाना जाता है। फिरोज शाह अपने महल की शोभा बढ़ाने हेतु इसे अंबाला से लेकर आया था। यह अशोक का दूसरा स्तंभ है तथा इसकी ऊंचाई 13.1 मीटर है। किले की विशाल मोटी दीवारें बड़े-बड़े पत्थरों को गारे से जोड़ कर बनाई गई थी , तथा खुरदरी दीवारों को चिकना बनाने के लिए प्लास्टर किया गया था या पॉलिश किए गए पत्थर की परत चढ़ाई गई थी।
यह भी पढ़ें – लौह स्तम्भ के बारे में
दोस्तों हम पूरी मेहनत करते हैं आप तक अच्छा कंटेंट लाने की | आप हमे बस सपोर्ट करते रहे और हो सके तो हमारे फेसबुक पेज को like करें ताकि आपको और ज्ञानवर्धक चीज़ें मिल सकें |
अगर आपको ये पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसको ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचाएं |
व्हाट्सप्प और फेसबुक के माध्यम से शेयर करें |
और हमारा एंड्राइड एप्प भी डाउनलोड जरूर करें
कृपया अपने सुझावों को लिखिए हम आपके मार्गदर्शन के अभिलाषी है |