बरखा रानी | वर्षा ऋतू की कविता | RAINY DAY POEM |
POEM IN HINDI
बरखा रानी
नन्ही नन्ही बूंदें जल की
बादल के आंचल से बरसी
चंपा की कलियों पर टपकी
टप टप टप टप करके हंस दी।
धरती के मुरझाए अधरों पर
सावन का अमृत है बरसा
रिमझिम रिमझिम सरगम सुनकर
टहनी टहनी का मन सरसा
शीतल ठंडी पवन चली है
आओ मिलकर झूला झूले
ऊंची-ऊंची पेंग बढ़ाएं
पेंग बढ़ाकर नभ को छू ले।
बरखा रानी ने बरसाई
मीठी मीठी मधुर फुहार
दादुर मोर पपीहा सबने
मिलकर गाया मेघ मल्हार।
All credits goes to the original creator of this poem.
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