किसी भी वस्तु की परिभाषा उस वस्तु की अपनी प्रकृति और उसके अपने प्रयोजन पर आधारित होती है
भाषा व्यक्ति के निजी अनुभवों एवं विचारों को व्यक्त करने का माध्यम है। यह सामाजिक संबंधों की अभिव्यक्ति का उपकरण भी है। अर्थात सामाजिक व्यापार का साधन है।
विद्वानों का एक वर्ग इसे मानव मन की सृजनात्मक शक्ति के रूप में देखता है।
भाषा की परिभाषा तथा अभिलक्षण
भाषा कि आज कोई भी ऐसी परिभाषा नहीं दी जा सकती जो सर्वमान्य और उसके सभी प्रकारों की दृष्टि से पर्याप्त हो , सुविधा के लिए कहा जा सकता है कि अपनी प्रकृति में भाषा प्रतीकों की व्यवस्था है।
प्रतीक वह वस्तु है जो किसी (व्याख्याता) के लिए किसी अन्य वस्तु के स्थान पर प्रयुक्त होती है।
- ‘ शिवलिंग ‘ – भगवान शिव का प्रतीक है।
भाषिक प्रतीक अपने अभिव्यक्ति पक्ष के लिए जिस माध्यम को अपनाता है , उसका आधार वागेन्द्रिय होता है।
व्यक्ति अपने विचारों को अभिव्यक्ति के रूप के लिए भाषिक प्रतीक का सहारा लेता है , तब वह वक्ता रूप में शब्दों का उच्चारण करता है , और दूसरा व्यक्ति उसे श्रोता के रूप में कानों से सुनता है।
\अतः भाषा प्रतीक अपनी मूल प्रकृति में ध्वनि परख होता है।
भाषा अभिलक्षण
भाषाविज्ञान के क्षेत्र में जिस भाषा को अध्ययन वस्तु बनाया जाता है , वह वस्तुतः ‘ मानव भाषा ‘ होती है।
नीचे भाषा के कुछ ऐसे अभी लक्षणों की चर्चा की जा रही है , जो मानव – भाषा की अपनी प्रकृति से संबंध है –
१ मौखिक श्रव्य माध्यम
- मानव भाषा अपने संकेतार्थ को व्यक्त करने के लिए जिस अभिव्यक्ति का सहारा लेती है , उसकी प्रकृति मूलतः मौखिक श्रव्य है।
- संकेतार्थ के रूप में किसी संदेश को भेजने वाला व्यक्ति (वक्ता) पहले भाषिक प्रतीक को मुख से उच्चारित करता है और उस संदेश को ग्रहण करने वाला व्यक्ति (श्रोता)
वक्ता ->श्रोता
श्रोता ->वक्ता
उसे कान से सुनता है यह अभिलक्षण इस ओर भी संकेत करता है कि भाषा मूलतः मौखिक होती है।
२ अंतर्विनिमयता
मनुष्य एक बोलने वाला प्राणी है , पर वास्तविकता तो यह है कि मनुष्य केवल बोलता ही नहीं वरन बातचीत करता है।
=> अंतर्विनियमता का लक्षण यह बताता है , कि वार्तालाप तभी संभव है जब वक्ता और श्रोता बोलने और सुनने की अपनी भूमिका को बदलते रहते हैं। अर्थात बातचीत के दौरान जो एक समय लगता है वह दूसरे समय सरोता की भूमिका अपनाएं और जो शुरू होता है वह वक्ता की भूमिका निभाएं।
३ यादृच्छिकता
- यह अभिलक्षण संकेत देता है कि मानव भाषा में काव्य और अभिव्यक्ति के संबंध के बीच कोई सादृश्यपरक अथवा कार्यकारण का संबंध नहीं होता।
- यही कारण है कि एक ही कथ्य के लिए विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग शब्द मिलते हैं ,
- और एक ही भाषा में अनेक पर्यायवाची शब्द।
४ परंपरा
=> कथ्य और अभिव्यक्ति के संबंध सामाजिक परंपरा द्वारा निर्धारित होते हैं , यह अभिलक्षण मानव भाषा को सामाजिक परंपरा से अर्जित संस्कार के रूप में देखने का आग्रह करता है।
५ विविक्ता
=> जब हम भाषा के माध्यम द्वारा किसी विचार को व्यक्त करते हैं तब विचार अविरल धारा के रूप में होता है।
=> यही कारण है कि बोलते समय हम अपने विचार को संपूर्ण रुप में व्यक्त करना चाहते हैं , और उसके लिए ध्वनियों की एक अटूट कड़ी का प्रयोग करते हैं।
६ अभिरचना द्वित्व
किसी संदेश को व्यक्त करने की प्रक्रिया पर ध्यान देने पर स्पष्ट हो जाता है कि , उसके दो निश्चित स्तर हैं।
- पहले स्तर का संबंध कथ्य ( अर्थ ) से है।
- दूसरे स्तर का संबंध अभिव्यक्ति माध्यम ( ध्वनि ) की इकाइयों से रहता है।
उदाहरण के लिए –
=> अगर विचार की न्यूनतम इकाई ‘ जल ‘ है तब उसकी अभिव्यक्ति की न्यूनतम इकाइयां है ज + अ + ल + अ।
६ विस्थापन
मानव भाषा में समय और स्थान की यह अनिवार्यता नहीं होती इसका प्रयोक्ता जिस संदेश को व्यक्त करना चाहता है , उसकी विषय वस्तु समय और स्थान की दृष्टि से विस्थापित भी हो सकती है।
इस अभिलक्षण का ही परिणाम है कि हम भाषा में ‘ भूतकाल ‘ और ‘ भविष्यकाल ‘ की रचनाएं बना पाते हैं।
यह भी पढ़े
सूर के पदों का संक्षिप्त परिचय
काव्य। महाकाव्य। खंडकाव्य। मुक्तक काव्य
लोभ और प्रीति। आचार्य रामचंद्र शुक्ल। lobh or priti | sukl
देवसेना का गीत। जयशंकर प्रसाद।
सूर के पदों का संक्षिप्त परिचय
प्रेमचंद कथा जगत एवं साहित्य क्षेत्र
जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं |
आत्मकथ्य कविता का संक्षिप्त परिचय
जयशंकर प्रसाद | राष्ट्रीय जागरण में जयशंकर प्रसाद की भूमिका।
यशोधरा | मैथलीशरण गुप्त की कालजयी रचना |
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला। निराला संस्मरण
प्रेमचंद के साहित्य पर संछिप्त परिचय। premchand short story
महादेवी वर्मा जाग तुझको दूर जाना कविता पूरी जानकारी सहित |
अगर आपको ये पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसको ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचाएं |
व्हाट्सप्प और फेसबुक के माध्यम से शेयर करें |
और हमारा एंड्राइड एप्प भी डाउनलोड जरूर करें
कृपया अपने सुझावों को लिखिए हम आपके मार्गदर्शन के अभिलाषी है |