दोस्तों आज आप पाएंगे संधि विच्छेद की पूरी जानकारी इस पोस्ट में | संधि की परिभाषा और उसके भेद के साथ साथ उन सभी के उदाहरण भी आपको दिए जा रहे हैं | हमने जितना हो सके उतना सरल लिखने का प्रयास किया है अगर तब भी आप को समझने में कष्ट हो तो बेझिझक कमेंट बॉक्स में पूछे | हिंदी विभाग का प्रयास है कि विद्यार्थियों को सभी कठिन विषयों के सरल नोट्स उपलब्ध कराएं | हमने अपनी वेबसाइट पर व्याकरण के लगभग सभी अंगों का विस्तारपूर्वक लेख लिखा है आप वह भी पढ़ सकते हैं |
संधि विच्छेद पूरी जानकारी
संधि की परिभाषा –
निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से उत्पन्न परिवर्तन को संधि कहते हैं। वर्णों में संधि करने पर स्वर , व्यंजन अथवा विसर्ग में परिवर्तन आता है। अतः संधि तीन प्रकार की होती है १ स्वर संधि २ व्यंजन संधि ३ विसर्ग संधि।
उदाहरण –
- देव + आलय = देवालय
- मनः + योग = मनोयोग
- जगत + नाथ =जगन्नाथ
स्वर संधि
स्वर के बाद स्वर अर्थात दो स्वरों के मेल से जो विकार परिवर्तन होता है स्वर संधि कहलाता है। स्वर संधि के पांच भेद है १ दीर्घ संधि , २ गुण संधि , ३ यण संधि , ४ वृद्धि संधि , ५ अयादि संधि।
दीर्घ संधि – ह्रस्व स्वर या दीर्घ स्वर अ ,आ , इ , ई , उ , ऊ आपस में मिलते है तो स्वर दीर्घ हो जाता है। जैसे –
अ + अ = आ
धर्म + अर्थ – धर्मार्थ
स्वर + अर्थी – स्वार्थी
परम + अर्थ – परमार्थ
परम + अणु – परमाणु
वेद + अंत – वेदांत
दीप + अवली – दीपावली
पीत + अंबर – पितांबर
शरण + अर्थी – शरणार्थी
राम + अवतार – रामावतार
कुसुम + अवली – कुसुमावली
शास्त्र + अर्थ – शास्त्रार्थ
स्व + अर्थ – स्वार्थ
वीर + अंगना – वीरांगना
https://www.youtube.com/watch?v=LCwjSn1qh1Q
अ + आ = आ
हिम + आलय – हिमालय
देव + आलय – देवालय
आत्मा + आहुति -आत्माहुति
धर्म + आत्मा – धर्मात्मा
सत्य + आग्रह – सत्याग्रह
वात + आवरण – वातावरण
शिव + आलय – शिवालय
शरण + आगत – शरणागत
देव + आगमन – देवागमन।
आ + अ = आ
विद्या + अर्थी – विद्यार्थी
सीमा + अंकित – सीमांकित
रेखा + अंकित – रेखांकित
यथा + अवकाश – यथावकाश
विद्या + अभ्यास – विद्याभ्यास
परीक्षा + अर्थी – परीक्षार्थी
रेखा + अंश – रेखांश
दिशा + अंतर – देशांतर
आ + आ = आ
विद्या + आलय – विद्यालय
महा + आशा – महाशय
वार्ता + आलाप – वार्तालाप
श्रद्धा + आनंद – श्रद्धानंद
महा + आत्मा – महात्मा
इ + इ = ई
रवि + इंद्र – रविंद्र
कवि + इंद्र – कविंद्र
अति + युक्ति – अतियुक्ति
अभि + इष्ट – अभीष्ट
मुनि + इंद्र – मुनींद्र
कपि + इंद्र – कपींद्र
इ + ई = ई
गिरी + ईश – गिरीश
आधी + ईश – अधीश
कपी + ईश – कपीश
कवी + ईश – कवीश
मुनी + ईश – मुनीश
परी + ईक्षा – परीक्षा
हरी + ईश – हरीश
ई + इ = ई
मही + इंद्र – महेंद्र
नारी + इंद्र – नरेंद्र
नारी + हिंदू – नारीन्दु
शची + इंद्र – सचिंद्र
नारी + इच्छा – नारीकछा
योगी + इंद्र – योगेंद्र
लक्ष्मी + इच्छा – लक्ष्मीच्छा
ई + ई = ई
नदी + ईश – नदीश
मही + ईश – महेश
रजनी + ईश – रजनीश
नारी + ईश्वर – नारेश्वर
सती + ईश – सतीश
जानकी + ईश – जानकीश
योगी + ईश्वर – योगेश्वर
उ + उ = ऊ
भानु + उदय – भानूदय
विधु + उदय – विधूदय
गुरु + उपदेश – गुरुपदेश
साधु + उपकार – साधूपकार
बहु + उद्देश्य – बहुउद्देशीय
सु + उक्ति – सूक्ति
लघु + उत्तर – लघुतर
उ + ऊ = ऊ
लघु + उर्मि – लघुर्मि
सिंधु + उर्मि – सिंधूर्मि
ऊ + उ = ऊ
भू + उद्धार – भूद्धार
वधू + उपकार – वधुपकार
भू + उत्सर्ग – भूत्सर्ग
वधू + उत्सव – वधुत्सव
वधू + उल्लेख – वधुल्लेख
ऊ + ऊ = ऊ
मधु + उर्मि – मधूर्मि
वधु + उर्मि – वधूर्मि
वधू + ऊर्जा – वधूर्जा
सरयू + उर्मि – सरयुर्मि
भू + ऊष्मा – भूषमा
भू + ऊर्जा – भुर्जा
2 गुण संधि –
जब ‘अ’ या ‘आ’ के पश्चात ‘इ’ , ‘ई’ हो तो ‘ए’ हो जाता है , और अ या आ के साथ ‘उ’ , ‘ऊ’ हो तो वह ‘ओ’ हो जाता है। तथा ‘अ’ , ‘आ’ के पश्चात ऋ हो तो अर हो जाता है।
अ + इ , ई = ए
देव + इंद्र – देवेंद्र
सूर + इंद्र – सुरेंद्र
वीर + इंद्र – वीरेंद्र
गज + इंद्र – गजेंद्र
सोम + ईश – सोमेश
भारत + इंदु – भारतेंदु
नर + ईश – नरेश
परम + ईश्वर – परमेश्वर
गण + ईश – गणेश
स्व + इच्छा – स्वेच्छा
आ + इ , ई = ए
महा + इंद्र – महेंद्र
रमा + इंद्र – रविंद्र
राजा + इंद्र – राजेंद्र
महा + ईश – महेश
रमा + ईश – रमेश
राजा + ईश – राजेश
यथा + इष्ट – यथेष्ट
अ + उ ,ऊ = ओ
सूर्य + उदय – सूर्योदय
पूर्व + उदय – पूर्वोदय
पूर्व + उत्तर – पूर्वोत्तर
पश्चिम + उत्तर – पश्चिमोत्तर
सागर + उर्मि – सागरोउर्मि
वीर + उचित – वीरोचित
नव + उदय – नवोदय
सर्व + उदय – सर्वोदय
नव + ऊढा – नवोढा
ज्ञान + उपदेश – ज्ञानोपदेश
आ + उ , ऊ = ओ
महा + उत्सव – महोत्सव
गंगा + उर्मि – गंगोर्मि
महा + उदधि – महोदधि
महा + उष्ण – महोषण
शीत + उष्ण – शीतोष्ण
महा + ऊष्मा – महोष्म
गंगा + उदक – गंगोदक
आत्मा + उत्सर्ग – आत्मोत्सर्ग
यथा + उचित – यथोचित
अ , आ + ऋ = अर
ब्रह्मा + ऋषि – ब्रह्मऋषि
महा + ऋषि – महर्षि
राजा + ऋषि – राजर्षि
सप्त + ऋषि – सप्तर्षि
देव + ऋषि – देवर्षि
3 यण संधि –
‘इ’ , ‘ई’ के पश्चात विजातीय स्वर हो तो ‘य’ तथा ‘उ’ , ‘ऊ’ के पश्चात अन्य स्वर हो तो ‘व’ तथा ‘ऋ’ के पश्चात अन्य स्वर हो तो ‘र’ हो जाता है।
अति + अधिक – अत्यधिक
अति + अंत – अत्यंत
सत्य + आनंद – सत्यानंद
इति + आदि – इत्यादि
वि + आप्त – व्याप्त
वि + आकुल – व्याकुल
पंक्ति + अनव्यय – पंक्तंव्यय
अति + आचार – अत्याचार
नदी + अर्पण – नाध्य्रपन
नदी + अंबु – नद्यम्बू
वि + आपक – व्यापक
अति + उष्ण – अत्युष्ण
प्रति + उपकार -प्रत्युपकार
सखी + आगमन – सख्याग्मन
प्रति + अंग – प्रत्यंग
देवी + उदय – देव्युदय
अभी + आगत – अभ्यागत
प्रति + एक – प्रत्येक
उ , ऊ + अन्यस्वर = व
अनु + अय – अन्वय
गुरु + अर्पण – गुर्वर्पण
मनु + अंतर – मन्वंतर
मधु + आलय – माध्वालय
मधु + अरि – मध्वरी
अनु + एषण – अन्वेषण
वधू + आगमन – वध्वागमन
अनु + इति – अन्विति
गुरु + आकृति – गुर्वाकृति
गुरु + आदेश -गुर्वादेश
ऋ + अन्यस्वर = र
मातृ + आनंद – मत्रानन्द
पितृ + आदेश – पित्रादेश
पितृ + अनुमति – पित्रनुमति
भ्रातृ + आज्ञा – भ्रात्राज्ञा
मातृ + आज्ञा – मात्राज्ञा
पितृ + आज्ञा – पित्राज्ञा
पितृ + उपदेश – पित्रुपदेश
4 वृद्धि संधि –
जब ‘अ’ , ‘आ’ के साथ ‘ए’ , ‘ऐ’ मिलाया जाए तो ‘ऐ’ तथा ‘अ’ के साथ ‘ओ’ , ‘औ’ मिलाने पर ‘औ’ हो जाता है।
अ , आ + ए ,ऐ = ऐ
नव + ऐश्वर्य – नवैश्वर्य
सदा + एव – सदैव
मत + ऐक्य – मतैक्य
एक + एक – एकैक
यथा + एव – यथैव
लोक + एषणा – लोकैषणा
अ , आ + ओ , औ = औ
महा + औदार्य – महौदर्य
वन + औषध – वनौषध
परम + ओज – परमौज
महा + औषध – महौषध
महा + ओज – महौज
5 अयादि संधि –
‘ए’ के साथ अन्य स्वर मिलने पर ‘अय’ , ‘ऐ’ के साथ अन्य स्वर मिलने पर ‘आय’ , ‘ओ’ के साथ अन्य स्वर मिलने पर ‘अव’ तथा ‘औ’ के साथ अन्य स्वर मिलने पर ‘आव्’ हो जाता है।
ए + अन्यस्वर = अय
ने + अन – नयन
शे + अन – शयन
चे + अन – चयन
ऐ + अन्यस्वर = अय
गे + अक – गायक
गे + अन – गायन
ने + अक – नायक
कै + इक – कायिक
ओ + अन्यस्वर = अव्
पो + अन – पवन
भो + अन – भवन
गो + ईश – गवीश
पो + इत्र – पवित्र
औ + अन्यस्वर = आव्
पौ + अन – पावन
पौ + अक – पावक
नौ + इक – नाविक
भौ + उक – भावुक
भौ + अन – भावन
व्यंजन संधि
व्यंजन का व्यंजन अथवा किसी स्वर के समीप होने पर जो परिवर्तन होता है , उसे व्यंजन संधि कहते हैं। यह परिवर्तन कई प्रकार के होते हैं –
1 वर्ग के पहले वर्ण का तीसरे वर्ण में परिवर्तन –
किसी वर्ग के पहले वर्ण – क् ,च् , ट्, त् , का मेल किसी स्वर या किसी वर्ग के तीसरे , चौथे वर्ण या , य , र , ल , व , ह। से हो तो पहला वर्ण तीसरे वर्ण ( ग् ,ज् ,ड् ,द् ,ब् ) मे बदलता है।
वाक् + ईश – वागीश
दिक् + अंबर – दिगंबर
दिक् + दर्शन – दिग्दर्शन
वाक् + दान -वाग्दान
वाक् + जाल – वाग्जाल
दिक् + अंचल – दिगंचल
दिक् + अंत – दिगंत
षट् + आनन – षडानन
षट् + दर्शन – षड्दर्शन
अच् + आदि – अजादि
सत् + धर्म – सद्धर्म
सत् + भावना – सद्भावना
जगत् + ईश – जगदीश
भगवत् + गीता – भगवद्गीता
भागवत् + भक्ति – भागवद्भक्ति
उत् + घाटन – उद्घाटन
सत् + चरित्र – सच्चरित्र
सत् + छात्र – सछात्र
उत् + चारण – उच्चारण
सत् + चित् – सच्चित
शरत् + चंद्र – शरतचंद्र
जगत् + छाया – जगच्छाया
सत् + जन – सज्जन
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Thanks aniket
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अगर मुझे संधि विच्छेद विषय पर और जानकारी चाहिए तो मैं कहां से पढ़ सकता हूं? अगर आप यहां पर और जानकारी उपलब्ध कराएंगे तो यह भी बता दीजिए कि कब तक ऐसा होगा क्योंकि मेरे को और पढ़ना है.
Sanskrit Ratnam book kharid ligiye
How to join
dharam + akya….
Dharamakya
Please show this in written form…my doubt is will it have single aee or double aae…
धर्म + आज्ञा यह बनेगा धर्माज्ञा
Dear teacher …dharam + agya …was not my question…
Dharam + aakya is my question
Aakya…Aa….badi aae( aanak wali means chasma) +half k( kabotar Wala)…+ Y(yagaya or yanwala)
Suggestion
Add feature of posting picture because I don’t know how to write in Hindi on phone keypad..if it has attachment feature…I could have asked my doubt by posting question by clicking picture of my copy
Ok we got your problem. You can send your images related to doubt at our FB page. We will answer you there as quickly as possible. You can find it in contact us section. Then we can probably understand your question in better way.
High qaliti grammer
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What is the sandhi viched of vyakti?
Vyakti ek shabd h sandhi viched ke liye do pad ka hona aniwarya h ath iska sandhi viched sambhaw nahi h .Kintu aur satik jankari ke sath punh answer likhunga
मातोश्री का सन्धि विच्छेद
ललन का संधि विच्छेद
दायुश संघी विछेद कया होगा
Very useful. Sandhi viched ki poori jankari exapmple ke sath dene ke liye bahut bahut dhanyavaad.
Exam ke liye tyari aasan ho gyi iss se.
अंशिका में कौन सी संधि है।
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गोविंद बोलने पर द स्पष्ट नही निकलता है ऐसा क्यो
Anugami ka sandhi vichchhed kya hoga
इस सवाल का जवाब है
अनु + गामी = अनुगामी
अगर आपको और कोई सवाल पूछना है तो वह भी आप यहां पर पूछ सकते हैं।
I was just reading all this and then I thought I learned sandhi viched with examples in Hindi
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कारागार का संधि विच्छेद बताईये
कारागार का संधि विछेद होगा
कारा + गार
संधि विच्छेद एक मुश्किल टॉपिक है जिसे आपने बहुत आसानी से समझाया है
बहुत ही मददगार लेख लिखा है आपने। संधि विच्छेद पर नोट्स लिखने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
कृपया उदाहरण की संख्या और बढ़ाइए
बहुत ही सुंदर
बहुत ही मददगार लेख लिखा है आपने। संधि विच्छेद पर नोट्स लिखने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
कृपया उदाहरण की संख्या और बढ़ाइए
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने
औदार्य का संधि विच्छेद क्या होगा
Sorry sir but mujhe sandhi ki definition hard lgi h or iske bhedo ki bhi kyuki inmein jo words h vo kuch difficult h.😓😓😓
संधि विच्छेद पर शायद ही इतना विस्तृत लेख मैंने कहीं पढ़ा है. आपने संधि विच्छेद टॉपिक पर इतना बढ़िया लेख लिखकर मेरा काम बहुत आसान कर दिया है अब मुझे परीक्षा में कोई दिक्कत नहीं होगी ऐसा मेरा मानना है. आपके व्याकरण के सभी लेख बहुत अच्छे हैं.
This post is very useful for me. Thanks, Hindi vibhag for explaining sandhi viched
What is the sandhi viched of vidyashram
आपका सवाल है कि विद्याश्रम का संधि विच्छेद क्या होगा?
जवाब – विद्या जमा आश्रम अर्थात विद्या का आश्रम
What will be the sandhi vicched of tacchalokam
गुरु + अंश का सन्धि पद क्या है
फलन शब्द का सन्धि विच्छेद क्या होगा