अखंड भारत | akhand bharat RSS | Undivided India

अखंड भारत यह क्या बात कर रहे हो भारत तो भारत है फिर अखंड क्या चीज़ है ? यही बात आम लोगो को पता नहीं  है। किन्तु यह सत्य है की आज का भारत कभी बहुत बड़ा विस्तृत भूभाग वाला भारत था। कभी सोने की चिड़िया कहलाने वाला भारत केवल कश्मीर से कन्याकुमारी और आसाम से गुजरात का तक सिमित नहीं था | बल्कि अफगानिस्तान ,भूटान ,म्यांमार ,पाकिस्तान ,तिब्बत आदि भी भारत का अंग था।

आज वह अलग हो गया किन्तु एक भारतीय और एक स्वयं सेवक के नाते मेरी यह कल्पना है कभी ना कभी वैचारिक , सांस्कृतिक ,तौर पर ही सही एक होंगे।  अखंड भारत ,भारत के प्राचीन समय के अविभाजित स्वरूप को कहा जाता है।

प्राचीन काल में भारत बहुत विस्तृत था

Akhand bharat Rss – अखंड भारत

जिसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, बर्मा, थाइलैंड आदि शामिल थे।

कुछ देश जहाँ बहुत पहले के समय में अलग हो चुके थे वहीं पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि अंग्रेजों से स्वतन्त्रता के काल में अलग हुये।

अखण्ड भारत वाक्यांश का उपयोग हिन्दू राष्ट्रवादी संगठनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद तथा भारतीय जनता पार्टी आदि द्वारा भारत की हिन्दू राष्ट्र के रूप में अवधारणा के लिये भी किया जाता है।

इन संगठनों द्वारा अखण्ड भारत के मानचित्र में पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि को भी दिखाया जाता है। ये संगठन भारत से अलग हुये इन देशों को दोबारा भारत में मिलाकर अविभाजित भारत का निर्माण चाहते हैं।

अखण्ड भारत का निर्माण सैद्धान्तिक रूप से संगठन  (हिन्दू एकता) तथा ‘शुद्धि से जुड़ा है।

भाजपा जहाँ इस मुद्दे पर संशय में रहती है वहीं संघ इस विचार का हमेशा मुखर वाहक रहा है। संघ के विचारक हो०वे० शेषाद्री की पुस्तक The Tragic Story of Partition में अखण्ड भारत के विचार की महत्ता पर बल दिया गया है। संघ के समाचारपत्र ऑर्गनाइजर में सरसंघचालक मोहन भागवत का वक्तव्य प्रकाशित हुआ जिसमें कहा गया कि केवल अखण्ड भारत तथा सम्पूर्ण समाज ही असली स्वतन्त्रता ला सकते हैं।

भारत में मुस्लिम शासकों से पूर्व भारत छोटे छोटी रियासतों में बट गया था, जिन्‍हें पुन: मिलाकर मुस्लिम शासकों ने अखण्‍ड भारत की स्‍थापना की थी। वर्तमान परिस्थितियों में अखण्‍ड भारत के सम्‍बन्‍ध में यह कहना उचित होगा कि वर्तमान परिस्थियों में अखण्‍ड भारत की परिकल्‍पना केवल कल्‍पना मात्र है, ऐसा सम्‍भव प्रतीत नहीं होता है।

अखंड भारत में आज के अफगानिस्थान, पाकिस्तान , तिब्बत,  नेपाल, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका आते है केवल इतना ही नही कालांतर में भारत का साम्राज्य में आज के मलेशिया, फिलीपीन्स, थाईलैंड, दक्षिण वियतनाम, कंबोडिया ,इंडोनेशिया आदि में सम्मिलित थे। सन् 1875 तक (अफगानिस्थान, पाकिस्तान , तिब्बत, नेपाल, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका)

भारत का ही हिस्सा थे लेकिन 1857 की क्रांति के पश्चात ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिल गई थी उन्हें लगा की इतने बड़े भू-भाग का दोहन एक केंद्र से  करना संभव नही है एवं फुट डालो एवं शासन करो की नीति अपनायी एवं भारत को अनेकानेक छोटे-छोटे हिस्सो में बाँट दिया केवल इतना ही नही यह भी सुनिश्चित किया की कालांतर में भारतवर्ष पुनः अखंड न बन सके।

अफ़ग़ानिस्तान (1876) :विघटन की इस शृंखला का प्रारम्भ अफ़ग़ानिस्तान से हुआ जब सन् 1876 में रूस एवं ब्रिटैन के बीच हुई गंडामक संधि के बाद अफ़ग़ानिस्तान का जन्म हुआ।नेपाल (1904)भूटान (1906)तिब्बत (1914)श्रीलंका (1935)म्यनमार (1937)पाकिस्तान एवं बांग्लादेश (1947)

 

यह भी जरूर पढ़ें – 

संघ की प्रार्थना। नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे।आरएसएस। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ | हिंदू साम्राज्य दिवस क्या है? 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ | संघ क्या है उसकी क्या विचारधारा है | देश के लिए क्यों जरुरी है संघ

संघ क्या है | डॉ केशव बलिराम हेगड़ेवार जी का संघ एक नज़र में | RSS KYA HAI

गुरु दक्षिणा| गुरु दक्षिणा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ | गुरुदक्षिणा का उपयोग गुरुदक्षिणा की राशि का खर्च | Rss income source

गुरु दक्षिणा हेतु अमृत वचन।RSS IN HINDI | राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ। 

अगस्त माह हेतु गीत | rss august maah ka geet | rss geet lyrics

संगठन हम करे आफतों से लडे | हो जाओ तैयार साथियो | rss geet lyrics |

 

 

 

दोस्तों हम पूरी मेहनत करते हैं आप तक अच्छा कंटेंट लाने की | आप हमे बस सपोर्ट करते रहे और हो सके तो हमारे फेसबुक पेज को like करें ताकि आपको और ज्ञानवर्धक चीज़ें मिल सकें |

अगर आपको ये पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसको ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचाएं  |

व्हाट्सप्प और फेसबुक के माध्यम से शेयर करें |

और हमारा एंड्राइड एप्प भी डाउनलोड जरूर करें

कृपया अपने सुझावों को लिखिए हम आपके मार्गदर्शन के अभिलाषी है 

facebook page hindi vibhag

YouTUBE

Sharing is caring

Leave a Comment