हिंदी काव्य ,रस ,गद्य और पद्य साहित्य का परिचय।

Hindi kavya full information with types, definition and examples. हिंदी काव्य ,रस ,गद्य और पद्य साहित्य का परिचय।

हिंदी काव्य

हिंदी काव्य का सृजन गद्य और पद्य के आधार पर ही अधिक प्रचलित है।

गद्य लेखन की दृष्टि से भारतेंदु युग के उपरांत हिंदी साहित्य के एक नई क्रांति का सूत्रपात हुआ है। आज हिंदी गद्य साहित्य पारंपरिक विधाओं से लेकर पाश्चात्य साहित्य अनुकरण से आयातित कितनी नवीनतम विधाओं में विपुल मात्रा में लिखा जा रहा है। गद्य  लेखन की सभी विधाएं , विषय योजना , उद्देश्य और भाषाई परिपक्वता के साथ पूर्णतः  सार्थक और रुचिकर शैली के हिंदी साहित्य के कोष  को सुख समृद्धि कर रही है।

गद्य लेखन के अंग

1 नाटक

आजादी से पूर्व अनेक ऐसे महान नाटककार हुए जिन्होंने नाटक के माध्यम से भारतीय जनता के गौरव और अतीत को पुनः जीवित किया था। इसमें जयशंकर प्रसाद अग्रणी भूमिका में थे।

उन्होंने अनेकों ऐसे नाटक लिखे जो भारत के गौरव गाथा का गान करता था। उनके पूर्वज किस प्रकार यशस्वी थे जिन से विदेशी सामना तक नहीं कर पाते थे। आज उनके वंशज किस प्रकार की जीवन जीने को विवश है।

अनेकों ऐसे नाटकों ने स्वाधीनता संग्राम में सिपाही का कार्य किया लोगों को जागरूक किया और उन्हें एकजुट करने का प्रयत्न किया।

नाटक विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लिखा जाता है। इसका समापन एक ही बैठक में हो जाता है। नाटक के विषय में विद्वानों का दो मत है।

एक मत के विद्वान मानते हैं नाटक रंगमंच के लिए होता है, अतः रंगमंच पर इसका मंचन करने के उद्देश्य से लिखा जाना चाहिए। वही दूसरा विद्वान का पक्ष यह मानता है कि रंगमंच को नाटक के लिए होना चाहिए।

अर्थात रंगमंच पर नाटक किस प्रकार से दिखाया जाना चाहिए यह उनकी योग्यता पर निर्भर करता है।

कुल मिलाकर नाटक आधुनिक युग की देन है पूर्व समय में नुक्कड़ नाटक या सभाओं का आयोजन किया जाता था, आज आधुनिक तकनीकों के माध्यम से इसे थिएटर और रंगमंच पर दिखाया जाता है।

2 एकांकी

हिंदी गद्य लेखन में एकांकी का भी विशेष महत्व है। आज हिंदी साहित्य में रुचि लेने वाला पाठक एकांकी विधा को स्वीकार करता है और उसे पढ़ने के लिए जागरूक रहता है।

यह एक बैठक में समाप्त होने वाली विधा है, जिसमें विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति की जाती है। इसमें मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्धक और जागरूकता से संबंधित क्षेत्रों को समाहित किया जाता है। जिसके कारण एकांकी आधुनिक युग में एक लोकप्रिय विषय है।

मोहन राकेश जैसे अनेक लेखकों ने एकांकी को एक नया आयाम दिया, जिसमें पाठकों की रुचि और अधिक जागृत हुई है।

3 कहानी

कहानी की लोकप्रियता समाज के बीच काफी अधिक है। यह गद्य साहित्य का अभिन्न अंग है, किसी विशेष घटना या विषय को प्रस्तुत करने के लिए कहानी विधा का चयन किया जाता है।

यह संक्षेप और एक बैठक में समाप्त होने वाली विधा है।

मुंशी प्रेमचंद ने सामाजिक विषयों को कहानी में इतना प्रयोग किया है कि आज लोगों की रूचि कहानी के क्षेत्र में अधिक बढ़ गई है। अनेक सामाजिक विषयों को उजागर करने के लिए वर्तमान समय में कहानी का प्रयोग किया जाता है।

जागरूकता अभियान आदि को सफल बनाने के लिए भी कहानी एक श्रेष्ठ विधा है।

4 उपन्यास ,

5 संस्मरण ,

6 रेखाचित्र ,

7 निबंध ,

8 जीवनी ,

9 आत्मकथा ,

10 डायरी ,

11 यात्रा वृतांत ,

12 रिपोर्ताज ,

13 फैंटेसी ,

14 लघु कथाएं ,

15 फीचर ,

16 स्तंभ लेख ,

17 संपादकीय और ललित निबंध

जैसे अनेक विधाओं में गद्य लेखन हो रहा है।

गद्य  लेखन की प्रत्येक विधा अपने में पूर्ण और रुचिकर है।

इसी प्रकार पद्य अर्थात कविता में साहित्य सृजन वर्तमान में छंद और छंदमुक्त दोनों ही प्रकार के रचना शिल्पों में जारी है।

छंदबद्ध कविताएं लय – ताल और  सरसता की दृष्टि से पाठक मन को अधिक रुचिकर लगती है और आनंद की रसात्मक अनुभूति की सहज अवधारणा करती है। लेकिन छंदमुक्त कविताएं भी पाठक के मन में समरसता के साथ वैचारिक चिंतन की यथार्थ मूलक स्थितियों का निर्माण करती है। छंदमुक्त कविता में आने वाली नई कविता विम्बों और प्रतीकों के माध्यम से पाठक मन में विषय को इस प्रकार प्रतिबिंबित करती है कि उसे लगता है जैसे यह स्वयं ही कविता का अभिध्ये  बन गया हो।

अर्थात वर्तमान में हिंदी कविता चाहे वह महाकाव्य या प्रबंध काव्य के रूप में पाठक के समक्ष एक पूरे कथानक को प्रस्तुत करती हो या खंड काव्य के रूप में पृथक पृथक विषयों को मानवीय संवेदनाओ को प्रत्येक पंक्ति या पंक्तियों के समूह रूप में स्वतंत्र रुप से अभिव्यक्त करता है।

हिंदी काव्य के अंगों या उप अंगो की विषय चर्चा यहां अभीष्ट नहीं है लेकिन रस छंद अलंकार बिंब विधान तथा प्रतीकों की संक्षिप्त की जानकारी ले लेते हैं। साहित्य मनीषियों ने वर्तमान में रसों के स्थान पर वात्सल्य और भक्ति दो रसों की अवधारणा को मान्य कर आया है। अतः अब हम वात्सल्य और भक्ति को भी पृथक  रस के रूप में मान्यता देने लगे हैं। हमारा कोई आग्रह ना हो यदि श्रृंगार रस में ही वात्सल्य और भक्ति को समाहित कर कोई मनीषी को रसों को ही  अंगीकार करते हो तो वह अपने निर्णय के साथ स्वतंत्र है। रस की उत्पत्ति करते हो तो वह अपने निर्णय के स्थान साथ स्वतंत्र हैं।

रस की उत्पत्ति या निष्पत्ति सहृदय में स्थाई भावों के उद्दीपन में ही संभव है

अतः यहां रस और उसके स्थाई भाव की सूची दी जा रही है

नाम रस                   स्थाई भाव

1 शृंगार रस                  रति (अनुकल वस्तु में मन का अनुराग या प्रेम)

2    करुण रस              शौक (प्रिय वस्तु की हानि से चित्र में विकलता)

3  शांत रस                  निर्वेद (तत्वज्ञान में सांसारिक विषयों के प्रति वैराग्य या उदासीनता)

4  हास्य रस                  हास (भविष्यवाणी या चेष्टा आदि को विकृति से उत्पन्न उल्लास)

5  वीर रस                    उत्साह (कार्यारंभ के लिए दृढ़ उद्यम या संकल्प भाव)

6 अद्भुत रस                   विस्मय  (अलौकिक या असाधारण वस्तु जनित आश्चर्य या कोतूहल)

7 रौद्र रस                       क्रोध (प्रतिकूल के प्रति चित्र की उग्रता)

8  वीभत्स रस                  जुगुप्सा (दोषयुक्त वस्तु से जनित घृणा)

9 भयानक रस                 भय ( उग्र वस्तु जनहित चित्र की व्याकुलता)

10 वात्सल्य                      वात्सल्य (संतान या प्रियजन की चेष्टा उनसे उत्पन्न प्रेम भाव)

11 भक्ति रस                  श्रद्धा (इष्ट के प्रति कृतज्ञता जनहित समर्पण सेवा आदि भाव)

यह भी पढ़ें –

उपन्यास की संपूर्ण जानकारी | उपन्यास full details in hindi

समाजशास्त्र | समाज की परिभाषा | समाज और एक समाज में अंतर | Hindi full notes

Abhivyakti aur madhyam for class 11 and 12

Hindi vyakran हिंदी व्याकरण की संपूर्ण जानकारी

Hindi barakhadi written, images and chart – हिंदी बारहखड़ी

Alankar in hindi सम्पूर्ण अलंकार

सम्पूर्ण संज्ञा Sampoorna sangya

सर्वनाम और उसके भेद sarvnaam in hindi

अव्यय के भेद परिभाषा उदहारण Avyay in hindi

संधि विच्छेद sandhi viched in hindi grammar

समास की पूरी जानकारी | समास के भेद | samas full details | समास की परिभाषा  

रस। प्रकार ,भेद ,उदहारण ras ke bhed full notes

पद परिचय। Pad parichay in hindi

स्वर और व्यंजन की परिभाषा swar aur vyanjan

विलोम शब्द Vilom shabd hindi grammar

हिंदी वर्णमाला

शब्द शक्ति , हिंदी व्याकरण।Shabd shakti

छन्द विवेचन

Hindi alphabets, Vowels and consonants with examples

हिंदी व्याकरण , छंद ,बिम्ब ,प्रतीक।

शब्द और पद में अंतर

अक्षर की विशेषता

बलाघात के प्रकार उदहारण परिभाषा आदि

भाषा स्वरूप तथा प्रकार

निष्कर्ष –

हिंदी साहित्य में आरंभ से ही निरंतर विकास देखा गया है। यह भारत के जन सामान्य की भाषा है इस कारण इसकी स्वीकार्यता समाज के बीच सबसे अधिक है।

आदि काल में अनेकों प्रकार की ऐसी भाषा का प्रयोग किया जाता था जो जन सामान्य से संबंधित नहीं थी। जिस कारण भारत में साहित्य का विकास कुछ खास वर्गों के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किया जाता था।

भारतेंदु हरिश्चंद्र जैसे अग्रणी लेखकों ने हिंदी साहित्य के उत्थान में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया जिसके कारण आज हिंदी विश्व प्रसिद्ध भाषा बन गई है।  हिंदी विषय इतना लोकप्रिय है कि आज इसकी स्वीकार्यता पूरे विश्व में है।

आशा है आपको यह लेख पसंद आया हो आपके ज्ञान की वृद्धि और सकी हो।

कृपया अपने सुझावों को लिखिए हम आपके मार्गदर्शन के अभिलाषी है | |

android app 

facebook page

Sharing is caring

2 thoughts on “हिंदी काव्य ,रस ,गद्य और पद्य साहित्य का परिचय।”

Leave a Comment