अभिमन्यु का संपूर्ण जीवन परिचय – Mahabharata Abhimanyu jivni in hindi

प्रस्तुत लेख में वीर योद्धा अभिमन्यु के जीवन और घटनाक्रम को आधार बनाकर लिखा गया है। इस लेख के माध्यम से आप अभिमन्यु के शौर्य, वीरता और अदम्य अकल्पनीय साहस और पराक्रम का विस्तृत विवरण पढ़ेंगे।अभिमन्यु एक ऐसा महान योद्धा था जिसने रणभूमि में अपने पराक्रम का लोहा  मनवाया। बड़े से बड़ा योद्धा अभिमन्यु के सामने विवश नजर आया था। यही कारण है कि इस अकेले योद्धा को मारने के लिए बताते है सात महावीर , महारथी और अनगिनत सेना का सहारा लेना पड़ा।इस महावीर की मृत्यु के उपरांत कर्ण जैसा पराक्रमी योद्धा भी नतमस्तक खड़ा नजर आया।

अर्जुन पुत्र अभिमन्यु – Abhimanyu biography in hindi

महाभारत में एकमात्र ऐसा योद्धा था जो कम आयु में बड़े-बड़े महान योद्धाओं को रणभूमि में धूल फांक ने पर विवश कर दिया था। अभिमन्यु के शौर्य और युद्ध वीरता का बखान आज भी जगजाहिर है। दुर्योधन  शकुनी, कर्ण, दुशासन, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य जैसे महान योद्धाओं ने  मिलकर भी अभिमन्यु का सामना करने का साहस नहीं जुटाया ।

यही कारण है कि अभिमन्यु को मारने के लिए अनेकों महारथी एक साथ , अनेकों – अनेक सैनिकों को साथ लेकर चक्रव्यूह में फंसा कर वध करने जैसा नीच काम भी कर बैठे।इतना ही नहीं उसकी सहायता के लिए कोई पांडव ना आ सके , इसलिए पांचों पांडवों और महारथियों को वहां से दूर युद्ध भूमि में उलझा कर रखा था।

अभिमन्यु के पूर्व जन्म का रहस्य – Abhimanyu Previous birth secret

पृथ्वी पर बढ़ते अत्याचार-अनाचार को समाप्त करने के लिए समय-समय पर भगवान अवतार लेते हैं। भगवान के अवतार लेने का एकमात्र उद्देश्य – शांति, सौहार्द की स्थापना कर सत्य को परम शाश्वत रूप में स्थापित करना होता है।

द्वापर युग में जब अनाचार, वैमनस्य और धर्म की हानि होने लगी।

धर्म और सत्य की स्थापना के लिए भगवान विष्णु पृथ्वी पर परम पिता ब्रह्मा जी के आदेश पर कृष्ण रूप में अवतरित हुए। उन्होंने अन्य देवताओं को भी पृथ्वी पर श्री कृष्ण की सहायता के लिए जाने को कहा। सभी देवता खुशी – खुशी धर्म और सत्य की स्थापना के लिए पृथ्वी लोक पर जन्म लेने को तैयार हुए।

किंतु चंद्रमा अपने पुत्र वर्चा को पृथ्वी लोक पर नहीं भेजना चाहते थे, वह राजी नहीं हुए।

देवताओं ने उन्हें काफी समझाया और धर्म की स्थापना, सत्य के विजय के लिए अपना योगदान देने के लिए चंद्रमा पर दबाव डाला।

तब चंद्रमा ने एक शर्त देवताओं के समक्ष रखी। वह शर्त थी –

‘ मेरा पुत्र पृथ्वी पर कम अवधि के लिए जन्म लेगा और अपनी वीरता का ऐसा प्रदर्शन करेगा कि उसके जैसा कोई और योद्धा पृथ्वी पर नहीं होगा। वह जल्द ही  मेरे पास लौट आएगा ।’

देवता चंद्रमा को आश्वासन देते हुए चले गए। अभिमन्यु चंद्रमा का पुत्र वर्चा का ही अवतार था।

Abhimanyu Quotes in Hindi

 मैं सच कहता हूं सखे ,सुकुमार मत जानो मुझे,

यमराज से भी युद्ध को , प्रस्तुत सदा जानो मुझे ,

है औरों की बात क्या गर्व मैं करता नहीं ,

मामा और निजी ताज से भी , समर में डरता नहीं।।

Abhimanyu Quotes in Hindi
Abhimanyu Quotes in Hindi

‘अर्जुन और सुभद्रा का इकलौता पुत्र – Son of Arjun and subhadra

अर्जुन स्वयं देवेंद्र के पुत्र थे। अर्जुन जैसा पृथ्वी पर कोई धनुर्वीर नहीं था। इस जैसा योद्धा कितने ही जन्मों के बाद देखने को मिलता है। कहते हैं महारथी कर्ण , एकलव्य , अर्जुन से श्रेष्ठ धनुर्धारी थे , किंतु यह सब अपवाद का विषय है। श्री कृष्ण के मार्गदर्शन से उन्होंने इतनी विद्या प्राप्त कर ली थी कि , पृथ्वी पर उसका सानी कोई नहीं था। अर्जुन ने धनुर्विद्या के लिए पूरी पृथ्वी पर श्रेष्ठ गुरुओं का चयन किया।

तदोपरांत उन्होंने स्वर्ग जाकर भी दिव्य अस्त्र – शस्त्र का ज्ञान लिया।

सुभद्रा , श्री कृष्ण की बहन थी।  सुभद्रा मन ही मन अर्जुन को अपना वर मान चुकी थी और उससे विवाह करना चाहती थी। अर्जुन के विषय में उसने पहले ही अनेकों कहानियां सुन चुकी थी। अर्जुन के धनुर्विद्या और बाहुबल , पराक्रम का गुणगान सदैव समाज में सुनने को मिलता था। ऐसे क्षत्रिय से विवाह करना , किसी भी स्त्री के लिए सौभाग्य की बात थी।

सुभद्रा ने सुयोग वर के रूप में अर्जुन का चयन किया।

अर्जुन और सुभद्रा का पुत्र अभिमन्यु हुआ। अभिमन्यु के रहस्य के विषय में श्री कृष्ण भलीभांति परिचित थे।

इसलिए उन्होंने अभिमन्यु  का पालन – पोषण स्वयं अपनी देखरेख में की।

वह सुभद्रा को निरंतर वीर अभिमन्यु के परवरिश में किसी भी प्रकार की कोई कमी ना होने की सलाह देते थे। वह  बताते थे इस जैसा योद्धा महावीर फिर कभी जन्म नहीं लेगा , इसलिए अपनी सारी ममता अपने पुत्र अभिमन्यु पर न्योछावर करो।

सुभद्रा ने अभिमन्यु का पालन – पोषण अर्जुन के वनवास के दिनों में किया था।

Mahabharat abhimanyu biography in hindi
Mahabharat abhimanyu biography in hindi

अभिमन्यु को चक्रव्यू का ज्ञान – Abhimanyu and chakravyuh

अभिमन्यु के चक्रव्यूह ज्ञान के विषय में माना जाता है। अभिमन्यु को चक्रव्यूह का ज्ञान उसके पिता अर्जुन के वचनों से मां सुभद्रा के गर्भ में ही प्राप्त हो गया था। सुभद्रा अपने पति के पराक्रम को भलीभांति जानती थी।

उनके युद्ध कौशल और रण बहादुरी के किस्से सभ्य समाजों में सुना करती थी।

एक दिन की बात है

  • जब दोनों अकेले बैठे थे , तब सुभद्रा ने चक्रव्यूह के संदर्भ में जानना चाहा।
  • अगर कोई योद्धा चक्रव्यूह में फँस जाए तो , वह किस प्रकार सुरक्षित वापस निकल सकता है , यह सुनने की इच्छा जाहिर की। अर्जुन ने चक्रव्यू के प्रत्येक चरण को सविस्तार सुभद्रा को कह सुनाया। सुभद्रा काफी थकी हुई थी और इस प्रकार के घटनाक्रम को वह पहली बार सुन रही थी।
  • सुभद्रा चक्रव्यू के भेदन को सुनते – सुनते अचानक सो गई।
  • गहरी नींद के कारण वहां से सुरक्षित वापस आने की कला को वह सुनने से वंचित रही।
  • अर्जुन जिस समय इस चक्रव्यूह के ज्ञान को सुभद्रा के समक्ष प्रस्तुत कर रहे थे।
  • उस समय अभिमन्यु सुभद्रा के गर्भ में था।
  • वह अपनी माता के गर्भ से ही पिता द्वारा बताए गए , चक्रव्यू के समस्त ज्ञान को प्राप्त कर चूका था। किंतु माता के सो (निंद्रा)  जाने के कारण , अभिमन्यु चक्रव्यू का उतना ही ज्ञान ले पाया , जितना माता ने सुना था।

अभिमन्यु युद्ध भूमि में जब शत्रुओं द्वारा रचे गए चक्रव्यूह का भेदन करते हुए अंदर तक घुस आया। उसने एक – एक करके अनेकों महारथियों को अपने बाहुबल और शौर्य का परिचय देते हुए उनका मान मर्दन किया। आक्रोशित वीर योद्धाओं ने मिलकर एक साथ अभिमन्यु पर वार किया किंतु वह तब भी तनिक विचलित नहीं हुआ और दुगनी रफ़्तार से उन सभी महारथियों पर टूट पड़ा।

अंततोगत्वा पिता द्वारा मिला ज्ञान यही तक था , वह चक्रव्यूह से निकलने की कला नहीं जानता था। अंततोगत्वा शत्रु के बड़े – बड़े महान योद्धाओं ने एक साथ मिलकर अभिमन्यु पर आक्रमण किया और रणभूमि में हमेशा हमेशा के लिए सुला दिया।

श्री कृष्ण से अभिमन्यु का संबंध

श्री कृष्ण पृथ्वी पर विष्णु के अंश अवतार थे। उन्होंने धर्म और सत्य की रक्षा के लिए अवतार लिया था। उनके साथ इस लीला में सहयोग करने के लिए अनेकों देवी-देवताओं ने पृथ्वी पर जन्म लिया।

  • अभिमन्यु चंद्रमा के पुत्र वर्चा का अवतार था।
  • चंद्रमा द्वारा तय शर्तों के अनुसार अभिमन्यु का पृथ्वी पर जन्म हुआ था।
  • अभिमन्यु , श्रीकृष्ण की छोटी बहन सुभद्रा तथा पाण्डु पुत्र अर्जुन का पुत्र था।
  • इस नाते श्री कृष्ण ,  अभिमन्यु के मामा कहलाए।
  • श्री कृष्ण ने अपने मामा धर्म का निर्वाह , भली-भांति किया।

अर्जुन के वनवास तथा अज्ञातवास के समय उन्होंने अभिमन्यु का पालन पोषण पुत्र/भांजे  तथा शिष्य के रूप में किया।

अभिमन्यु के गुरु का योगदान – Teacher of Abhimanyu

अभिमन्यु ने वीरता का उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया था। वह ऐसे वीर योद्धा कहलाने की लालसा रखते थे जो , पृथ्वी पर उससे पूर्व कभी ना हुआ हो और ना कभी भविष्य में ऐसा योद्धा हो सके। अभिमन्यु महाभारत में लड़ने वाला सबसे कम आयु का शूरवीर , महा योद्धा था।

अकेले चक्रव्यूह में घुसने की साहस जिस योद्धा में हो , वह निश्चित ही महावीर की श्रेणी का योद्धा होता है।

ऐसे महावीर योद्धा का गुरु भी महान और श्रेष्ठ होना चाहिए।

श्री कृष्ण ने अभिमन्यु के गुरु के रूप में स्वयं भूमिका निभाई। कृष्ण अपने भांजे अभिमन्यु को रण कौशल के उन सभी दांवपेच तथा अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिया , जिसके कारण अभिमन्यु महानो में महान योद्धा कहलाए।

कृष्ण ने अभिमन्यु को चक्रव्यूह से क्यों नहीं बचाया

कहा जाता है कि महाभारत का संपूर्ण युद्ध श्री कृष्ण के इशारों पर हुआ। यहां कई लोग यह आरोप लगाते हैं कि , जब श्री कृष्ण महाभारत का संचालन कर रहे थे तो , उन्होंने अभिमन्यु को क्यों नहीं बचाया ?  इतनी कम उम्र के बालक को रणभूमि में अकेले क्यों छोड़ दिया ? रणभूमि में अभिमन्यु के अकेले घिर जाने के कारण भी कृष्ण बचाने के लिए कोई उपाय क्यों नहीं कर पाए ?

इसके पीछे एक गहरा रहस्य अभिमन्यु के पृथ्वी पर आगमन से पूर्व की थी।

चंद्रमा ने जब ब्रह्मा जी के आदेश के बाद सशर्त अपने पुत्र वर्चा को अभिमन्यु के रूप में पृथ्वी पर भेजने को राजी हुए। तब उन्होंने अपनी शर्त में यह कहा था कि , मेरा पुत्र पृथ्वी पर अवतरित अवश्य होगा।

किंतु वह अधिक समय के लिए पृथ्वी पर नहीं रहेगा।

उसे जल्द से जल्द अपने कार्य को पूरा करके मेरे पास लौट कर आना होगा।

यही कारण है कि अभिमन्यु के चक्रव्यूह में घिर जाने के बावजूद भी श्री कृष्ण उन्हें बचाने के लिए कोई उपाय नहीं कर सके।

और अभिमन्यु अल्पायु में वीरगति को प्राप्त हुआ।

अभिमन्यु की पत्नी – Abhimanyu wife

पांडव जब कौरवों द्वारा छल के रूप में बारह वर्ष के वनवास उपरांत एक वर्ष का अज्ञातवास बिता रहे थे। इस दौरान मत्स्य देश के राजा विराट के राज्य में पांचो पांडव तथा पंचाली भेष बदलकर अज्ञातवास के समय को काट रहे थे।

स्वयं युधिष्ठिर राजा के साथ शतरंज के खिलाड़ी के रूप में खेल रहे थे , भीम राज महल का रसोईया बल्लभ के रूप में कार्य कर रहे थे। अर्जुन विहंगला के भेष में उत्तरा को संगीत की शिक्षा दे रहे थे।

वही सहदेव और नकुल राज महल का घुड़साल की देखरेख कर रहे थे।

पांचाली स्वयं सरेंद्री बनकर मत्स्य देश की रानी सुदेशना के श्रृंगार कर रही थी।

इसी अज्ञातवास के समय अर्जुन इंद्र की अप्सरा उर्वशी के श्राप के प्रभाव से , विहंगला के भेष में मत्स्य देश की राजकुमारी उत्तरा को उत्तम संगीत की शिक्षा दे रहे थे।

और एक पिता की भांति उस पर अपना स्नेह लुटा रहे थे।

विराट युद्ध के उपरांत जब यह भेद खुल गया कि मत्स्य देश के राज महल में पांचो पांडव और पांचाली कार्य कर रहे हैं।

इसके उपरांत अर्जुन ने उत्तरा को अपनी पुत्रवधू के रूप में स्वीकार किया।

उत्तरा का विवाह अर्जुन ने अपने तेजस्वी वीर पुत्र तथा कृष्ण के प्रिय भांजे अभिमन्यु से करना निश्चय किया।

सर्वसम्मति से यह विवाह संपन्न हुआ।

अभिमन्यु और उत्तरा का पुत्र राजा परीक्षित – Son of Abhimanyu

महाभारत के युद्ध उपरांत पांचो पांडव ने अपना राज सुख भोगा। पांडवों ने प्रायश्चित स्वरूप अपना संपूर्ण राज्य अभिमन्यु-उत्तरा के पुत्र परीक्षित को सौंप कर स्वर्ग की ओर प्रस्थान किया।

यह समय द्वापर युग के अंत का था।

काल द्वारा कलयुग ने राजा परीक्षित के शासनकाल में आने का आदेश पाकर राजा परीक्षित के सामने प्रकट हुआ। राजा परीक्षित धर्मपालक और वीर थे उन्होंने कलयुग को अपने सीमा में घुसने से रोक दिया। कलयुग ने अपने पांव पसारने के लिए राजा परीक्षित से वैर मोल लेना उचित ना समझ कर। राजा का शरणागत हो गया।  शरण में आए हुए लोगों की रक्षा करना किसी भी छत्रिय का प्रथम धर्म है।

उस धर्म का निर्वाह करते हुए राजा परीक्षित ने कलयुग को चार स्थलों पर रहने का आदेश दिया –

  • जुआ स्थल ,
  • मद्यपान स्थल ,
  • वेश्यालय ,
  • हिंसा स्थल।

कलयुग ने चाल चलते हुए राजा परीक्षित को कहा यह सभी सीमित दायरे हैं , कृपया आप मुझे इन सीमित दायरों में ना बांधे। राजा परीक्षित ने काल के वशीभूत होकर कलयुग को स्वर्ण में रहने का आदेश दिया। राजा परीक्षित यह भूल गए थे कि उनके सिर पर लगा मुकुट भी स्वर्ण का था।

कलयुग ने तत्काल आदेश पाते हुए राजा परीक्षित के मस्तिष्क पर विराजमान हो गया।

इस प्रकार राजा परीक्षित कलयुग के वशीभूत होकर सभी कार्य करने लगे। कलयुग उनसे ऐसे अनेक कार्य करवाता जो धर्म विरुद्ध होते , राजा परीक्षित विवश होकर उन कार्य को अज्ञानता वश करने को बाध्य रहते।

जिससे उनके पुण्यकर्म धीरे – धीरे नष्ट होते गए।

इस प्रकार धीरे-धीरे कलयुग ने राजा परीक्षित के कार्यकाल में अपने पांव पसार लिए।

Raja Parikshit was the son of Abhimanyu and Uttara in Mahabharata. He was the first king who met with Kalyug.

अभिमन्यु की वीरता को समर्पित एक गीत – Song on Abhimanyu

The most famous song on Abhimanyu which describes the power and legacy. You can read the lyrics of the whole song below.
उठो जवानो हम भारत के स्वाभी मान सरताज़ है
अभिमन्यु के रथ का पहिया, चक्रव्यूह की मार है
चमके कि ज्यों दिनकर चमका है
उठे कि ज्यो तूफान उठे
चले चाल मस्ताने गज सी
हँसे कि विपदा भाग उठे
हम भारत की तरुणाई है
माता की गलहार है
अभिमन्यु के रथ का पहिया।।
खेल कबड्डी कहकर
पाले में न घुस पाये दुश्मन
प्रतिद्वंदी से ताल ठोक कर
कहो भाग जाओ दुश्मन
मान जीजा के वीर शिवा हम
राणा के अवतार है
अभिमन्यु के रथ का पहिया।।
गुरु पूजा में एकलव्य हम
बैरागी के बाण है
लव कुश की हम प्रखर साधना
शकुंतला के प्राण है
चन्द्रगुप्त की दिग्विजयों के
हम ही खेवनहार है
अभिमन्यु के रथ का पहिया।।
गोरा, बदल, जयमल, पत्ता,
भगत सिंह, सुखदेव, आज़ाद
केशव की हम ध्येय साधना
माधव बन होती आवाज़
आज नहीं तो कल भारत के
हम ही पहरेदार है
अभिमन्यु के रथ का पहिया।।
उठो जवानो हम भारत के स्वाभी मान सरताज़ है
अभिमन्यु के रथ का पहिया, चक्रव्यूह मार है।।

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निष्कर्ष –

अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु वाकई में एक महान योद्धा थे। मात्र 15 वर्ष की आयु में उन्होंने वह हासिल किया जो बड़े-बड़े लोग नहीं कर पाए। जहां महाभारत में इतने बड़े बड़े योद्धा थे कि उनके ताकत, शौर्य और उपलब्धियों की गणना करना नामुमकिन था।परंतु इसके बावजूद अभिमन्यु ने स्वयं का इतना बड़ा नाम बनाया कि बाकी लोगों की आभा फीकी पड़ गई।अभिमन्यु ने महाभारत में इतना भयंकर युद्ध किया कि शत्रु दल के सभी महारथी उसकी वीरता को नमन करने के लिए बाध्य हो गए।

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3 thoughts on “अभिमन्यु का संपूर्ण जीवन परिचय – Mahabharata Abhimanyu jivni in hindi”

  1. अभिमन्यु एक महान योद्धा था परंतु कायर कौरवों ने उसका जीवन लेकर अपने अधर्मी होने का सबूत दे दिया.

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    • सही कहा आपने अभिमन्यु सच में एक महान योद्धा था परंतु उसकी किस्मत में 15 वर्ष की आयु ही लिखी थी.

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  2. Aap iss blog kk likhane mai photos or bhut sare thought ka use karte hai kiya ye ek blog likhane mai kar sakte hai

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