अकबर बीरबल की कहानियाँ । 7 Akbar Birbal stories in hindi

स्वागत है आपका हमारे नए ब्लॉग पोस्ट में | आज हम अकबर बीरबल की मजेदार कहानियां लिखने जा रहे हैं | ये कहानियां आपको मनोरंजन के साथ साथ नैतिक शिक्षा भी देंगी | अगर आपको हमारी यह कोशिश अच्छी लगे तो अपने साथियों के साथ शेयर जरूर करियेगा |

अकबर बीरबल की कहानी संग्रह – Akbar Birbal Stories in Hindi

We are doing our utmost efforts to bring to you the best and interesting stories. This is the new post and we today bring to you interesting Akbar Birbal stories in Hindi and with morals.

पहली कहानी -> बीरबल की रेखा

एक बार की बात है अकबर काफी देर भ्रमण के बाद थक चुके थे। उनका विश्राम एक घने वृक्ष के नीचे हुआ , बीरबल भी वहां मौजूद थे। अकबर के हाथ में एक छड़ी थी जो बेहद ही मूल्यवान थी। अकबर ने जमीन पर एक रेखा खींची। मजाक बनाने के उद्देश्य से अकबर ने बीरबल से कहा –

बीरबल ! तुम बिना मिटाएं इस रेखा को छोटी करके दिखाओ।

बीरबल बुद्धि के धनी थे।

उन्होंने पास रखी हुई एक लकड़ी को उठाया और अकबर द्वारा खींची गई रेखा के समानांतर एक बड़ी रेखा खींच डाली। अकबर को समझ में आ गया था , उसके द्वारा खींची गई रेखा , बिना मिटाए छोटी हो गई थी।

बीरबल ने जो रेखा खींची थी , वह अकबर द्वारा खींची गई रेखा से काफी बड़ी थी।

अकबर , बीरबल की सराहना करते हुए फिर बीरबल के बुद्धि की परीक्षा की योजना बनाने लगे।

 

दूसरी कहानी -> बीरबल के कंधे दो गधे का बोझ

अकबर सवेरे नित्य – प्रतिदिन सैर करने निकलता था। आज उसके साथ उसका शहजादा और मंत्री बीरबल भी था।

आज का मौसम बेहद ही खुशनुमा था।

हवा में ताजगी थी , इसलिए आज भ्रमण का आनंद ही कुछ अलग था।

इस आनंद में अकबर अपने महल से काफी दूर निकल गया था। बात – बात में अकबर बीरबल से सवाल करता , बीरबल के हाजिर जवाब से अकबर शब्द हीन हो जाता।

यह केवल आज की बात नहीं है , हमेशा ही इसी प्रकार दोनों के बीच सवाल-जवाब का सिलसिला चला करता था।

हवा की ताजगी को महसूस करते-करते अकबर महल से लगभग दस मील दूर चले गए थे।

धीरे-धीरे धूप तीव्र हो रही थी।

राजा ने अपना पोशाक उतारकर  बीरबल के कंधे पर रख दिया। बीरबल , राजा की पोशाक अपने कंधे पर लिया पीछे-पीछे चल रहा था। तभी शहजादे को भी गर्मी महसूस हुई अपना भारी-भरकम पोशाक उतारकर बीरबल को थमा दिया।

बीरबल भी इंसान था , उसे भी गर्मी लग रही थी , किंतु वह अपने पोशाक उतार कर किसको देता ?

गर्मी के मारे बीरबल की भी हालत खराब हो रही थी ,

वह धीरे-धीरे चलने लगा।

अकबर ने बीरबल की चाल को देखते हुए कहा –  तुम एक गधे का भी बोझ नहीं उठा सकते ?

बीरबल ने अपने हाजिर जवाब का परिचय देते हुए कहा – नहीं मालिक एक गधा नहीं दो गधे का बोझ है।

अकबर जवाब चौक कर स्तब्ध रह गया , काफी दूर चुपचाप ही चलता रहा। किंतु बीरबल के साथ रहते वह अधिक देर तक चुप नहीं रह सकते थे। फिर वार्तालाप आरंभ हो गई।

 

तीसरी कहानी – > पति मिलन से पूर्व के आंसू

अकबर अपने महल के प्राचीर पर भोजन करने के उपरांत घूम रहे थे। वर्षा ऋतु का मौसम था , जगह-जगह दादुर और पपीहे की आवाज गूंज रही थी। झिंगुर शहनाई बजा रहे थे , जुगनू दर्शक बनकर उस का आनंद ले रहे थे। दृश्य बड़ा ही मनमोहक था , वातावरण में दिव्य सुगंध महसूस हो रही थी।

महल के किनारे से ही यमुना जी की प्रबल धारा वह रही थी। उसका शोर आज पहले से ज्यादा था। आज इस कल-कल की ध्वनि महल में स्पष्ट रूप से सुनाई दे रही थी।

अकबर को एका-एक महसूस हुआ , जैसे नदी रो रही हो।

अकबर ने तत्काल बीरबल से पूछा – क्या जो मैं सुन रहा हूं , वह तुम्हें सुनाई दे रहा है ? मुझे लगता है नदी के रोने की आवाज है !

बीरबल अपने जहांपना की बात को कैसे डाल सकता था। ऐसा दुस्साहस करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं था। बीरबल ने जहांपनाह के हाँ में हाँ मिलाया और कहा –

हां जहांपनाह मैं भी नदी के रोने की आवाज सुन रहा हूं !

यह अपने पिता हिमालय के घर से , अपने पति समुद्र से मिलने जा रही है।  सुखद अनुभूति के कारण नदी रास्ते में रोते जा रही है।

अकबर पहले की भांति शब्दहीन हो गया।

बीरबल के दिए हुए इस जवाब की गहराई में खो गया।

 

चौथी कहानी -> बेगमों के नखरे क्यों

अकबर प्रत्येक दिन की भांति आज भी शिकार पर गए हुए थे। लौटते समय संध्या हो गई थी। वह एक गांव से गुजर रहे थे , तभी उन्होंने एक भील जाति की औरतों को देखा , जो स्वयं से पुत्र को जन्म दे रही थी। उसकी सहायता के लिए वहां और कोई अन्य उपस्थित नहीं था।

अकबर कुछ देर के लिए वहीं रुक गया , शायद औरत को आवश्यकता पड़े , यह सोचकर।

कुछ देर बाद औरत ने अपने बच्चे को जन्म दिया और टोकरी में रखकर वहां से चल पड़ी। उस औरत को पुत्र जन्म के लिए और की आवश्यकता नहीं पड़ी। महल में शहजादों के जन्म के समय अनेकों दासिया बेगमों के साथ रहती है।

बेगमें इतना रोती-चिल्लाती है , जिससे पूरा महल अशांत हो जाता है।

आखिर यह भील जाति वाली भी एक महिला है और महल में रहने वाली बेगमें भी महिला है। तो फिर बेगमों का ऐसा नखरा क्यों ?

राजा ने सोचा बेगमें जानबूझकर यह सब करती हैं , ताकि हम उनकी पीड़ा से परेशान हो।

रास्ते भर सोचते-सोचते अकबर महल में आ गए। उन्होंने आज किसी से बात नहीं की। बेगमों ने अकबर के इस व्यवहार पर चिंता जाहिर की। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि , वह हमारे किस गलती की सजा दे रहे हैं। धीरे-धीरे अकबर ने अपनी बेगमों से बातचीत भी बंद कर दी।

बेगमें यह जानती थी , इस समस्या का हल केवल बीरबल ही कर सकता है।

तत्काल बीरबल की शरण में उपस्थित हुई।

बीरबल ने बेगमों को आश्वासन दिया – आप कुछ दिन अपने बाग के रखवालों को , बाग की सिंचाई करने से मना कर दे।

ऐसा ही हुआ ,

बेगम ने बाग की सिंचाई करने वाले कर्मचारियों को छुट्टी कर दी।

बाग में कुछ दिनों तक पानी नहीं मिला। हालत यह हुआ बाग़ सूखने की कगार पर आ गया। यह देखकर अकबर का क्रोध और बढ़ गया। अपनी बेगमों को बुलाकर कारण जानना चाहा।

बेगम ने कहा मेरे ही कहने पर कर्मचारियों ने बाग में पानी नहीं डाला। जिसके कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई। जंगल में पेड़-पौधों को पानी देने की आवश्यकता नहीं होती , वह स्वयं ही हरे भरे रहते हैं। फिर हमारे बाग में पानी देने और ढेरों कर्मचारियों के रहने से क्या लाभ ?

अकबर को अपने व्यर्थ के क्रोध का जवाब मिल गया था। समय और स्थिति के अनुसार सब कुछ होता है।

 

पांचवीं कहानी -> बादशाह सलामत का आदेश

बादशाह सलामत अकबर के शहजादे थे। एक बार की बात है , वह काफी क्रोध में जागे। तत्काल सेवा में लगे पहरेदार को बुलाया और आदेश दिया – ‘ जाओ उसे बुलाकर लाओ !’

बादशाह सलामत का क्रोध इतना तीव्र था।

पहरेदार की हिम्मत ना हुई , यह पूछने की आखिर किसको बुला कर लाए।

पहरेदार वहां से निकल गया। आज उसके प्राण संकट में थे। वह काफी देर तक सोचता रहा , बादशाह ने किसको लाने को कहा। किंतु वह उस पहेली को समझ भी नहीं पाया।

अगर वह बुलाकर नहीं ले जाता , तो आज उसके प्राण का संकट में आना निश्चित है।

पहरेदार यह जानता था , किसी भी समस्या का हल बीरबल के पास होता है। बीरबल की सेवा में पहरेदार अपने प्राण की रक्षा के लिए हाजिर हुआ।

पहरेदार बीरबल के चरणों में गिरकर रोने लगा और अपने प्राण बचाने के लिए उपाय बताने को कहा।

बीरबल ने पूरा हाल पहरेदार के मुख से सुना –

पहरेदार ने बताया बादशाह सलामत काफी क्रोध में उठे। वह अपनी दाढ़ी को खुजला रहे थे। क्रोध में उसे बुलाकर लाने को कहा। उनका क्रोध इतना तेज था , मैंने पूछने की हिम्मत नहीं जुटाई कि आखिर किसको बुलाकर लाना है।

बीरबल समझ गया था , बादशाह सलामत दाढ़ी के बढ़ जाने के कारण परेशान है। उसे नई की आवश्यकता है।

बीरबल ने पहरेदार के साथ नाई को बादशाह सलामत की सेवा में भेजा।

नाई को देखकर बादशाह सलामत समझ गए थे , यह बीरबल का जवाब है।  बादशाह सलामत ने पहरेदार को दो स्वर्ण मुद्रा प्रसन्नता पूर्वक दिया।

 

छठी कहानी -> बैल का दूध

राजा अकबर का दरबार सजा हुआ था। दरबारी सभा में मौजूद थे , तभी अकबर , बीरबल की प्रशंसा करते हुए कहते हैं – ” बीरबल जैसा बुद्धिमान इस दरबार में कोई नहीं है , यह हमारे लिए गर्व की बात है  इस जैसा महान व्यक्ति हमारे दरबार में है। “अकबर निरंतर बीरबल की बड़ाई कर रहे थे , किन्तु अकबर की बात से एक दरबारी सहमत नहीं था। वह राजा के हां में हां नहीं मिला रहा था , यह भाँपते हुए अकबर ने पूछा –

Conversation between akbar and bheemsen

अकबर – क्यों भीमसेन जी आप बीरबल के बुद्धिमता पर संदेह करते हैं ? आप उन्हें बुद्धिमान नहीं समझते ?

भीमसेन  – महाराज इसमें कोई संदेह नहीं कि बीरबल बुद्धिमान है , किंतु इस दरबार में सबसे बुद्धिमान है यह मैं नहीं मानता।

अकबर  – तो तुम बीरबल की परीक्षा ले सकते हो।

भीमसेन – जी महाराज अगर बीरबल मेरे प्रश्न का हल ढूंढ ले , तो मैं उन्हें बुद्धिमान समझूंगा।

अकबर –  पूछो क्या प्रश्न पूछना है ?

भीमसेन  – बस महाराज यही चाहता हूं कि बीरबल बैल का दूध लेकर आए।

अकबर – भीमसेन जी यह कैसी बातें कर रहे हैं , बैल का दूध होता है क्या ? आपका यह सवाल ही गलत है।

भीमसेन –  किंतु महाराज जब तक बीरबल बैल का दूध लेकर नहीं आते तब तक मैं उन्हें बुद्धिमान नहीं मान सकता।

अकबर –  ठीक है , हम भी बीरबल का बुद्धिबल देखना चाहते हैं। क्यों बीरबल बैल का दूध ला सकते हो ?

बीरबल  – जी महाराज।

अकबर  –  ठीक है तुम्हें जितना समय चाहिए उतना समय ले लो।

बीरबल  – महाराज मुझे बैल का दूध लेन में केवल एक दिन का समय लगेगा।

अकबर  – क्या ? एक दिन , क्या तुम वास्तव में बैल का दूध ला सकते हो ?

बीरबल  – जी महाराज।

अकबर  – ठीक है।

Conversation over

सभा विसर्जन होती है , सभी दरबारी अपने – अपने घर जाते हैं।

रात का समय है , महल में अकबर विश्राम कर रहे हैं अभी नींद लगी ही थी कि , उनके महल के पीछे से जोर – जोर से आवाज आने लगती है। अकबर अपने अंग रक्षकों को उस आवाज को बंद कराने के लिए कहते हैं।अकबर के अंगरक्षक आदेश का पालन करने के लिए निकल पड़ते हैं।  काफी समय बीतने पर भी वह आवाज बंद नहीं होती , अकबर फिर अपने अंगरक्षकों को बुलाते हैं और कारण पूछते हैं कि तुम्हें एक घंटे पूर्व आदेश दिया था आवाज को बंद किया जाए किंतु तुमने अभी तक बंद नहीं किया।

उस आदमी को पकड़ कर लाओ जो यह आवाज कर रहा है , मैं उसे अनावश्यक कार्य करने पर दंड दूंगा।अकबर के अंगरक्षक उस आवाज की ओर निकल जाते हैं , और वहां जाकर देखते हैं। कुएं पर एक लड़की कपड़े धो रही थी , कपड़ों पर लकड़ी के डंडे से कपड़े धो रही थी , जिसके कारण यह आवाज आ रही थी।

Conversation between guard and a girl

अंगरक्षक  – क्यों लड़की मैंने तुझे आवाज बंद करने के लिए कहा था , तुमने किया क्यों नहीं ?

लड़की  –  जी मुझे कपड़े धोना बहुत जरूरी है , और अभी कुआं खाली है , इसलिए मैं यहां पर घर के कपड़े धोने आ गई।

अंगरक्षक  –  चलो महाराज ने तुम्हें बुलाया है।

लड़की डरी – सहमी अंगरक्षक के साथ महल में चल देती है।

Conversation between akbar and a girl

अकबर –  क्यों लड़की ! तुम इस वक्त कपड़े क्यों धो रही हो ?  क्या यह समय कपडे धोने का है ? हमारी नींद खराब क्यों कर रही हो ? यदि तुमने उचित कारण नहीं बताया तो मैं तुम्हें अवश्य ही  कठोर दंड दूंगा।

लड़की –  महाराज की जय हो ! महाराज मेरी मम्मी मायके गई है , और पिताजी को लड़का हुआ है।  इसलिए यह सारा काम मुझे करना पड़ता है , इस समय थोड़ा सा गृहस्थी से समय मिला है , इसलिए मैं कपड़े धोने आ गई थी। क्षमा करें।

अकबर  – क्या ? पुनः बोलो तुमने क्या बोला ?

लड़की  –  जी महाराज आपने जो आपने सुना वह सही सुना। मेरी मम्मी मायके गई हुई है और मेरे पिताजी को लड़का हुआ है , इसलिए मैं गृहस्ती से अभी समय निकालकर कपड़ा धोने आई हुई हूं।

अकबर  – यह कैसे संभव हो सकता है ? तुम्हारे पिताजी को लड़का कैसे हो सकता है ?

लड़की  – क्यों नहीं महाराज आपके राज्य में कुछ भी असंभव नहीं है।

अकबर  – क्या मतलब ?

लड़की  – जी महाराज आपके राज्य में सबकुछ सम्भव है। जब आपके राज्य में बैल का दूध हो सकता है , तो मेरे पिताजी को लड़का क्यों नहीं हो सकता ?

अकबर पूरी घटना को समझ चुके थे , वह जान गए थे कि यह बीरबल की कोई लीला है। वह मन ही मन खुश हुए , उन्हें उनके दरबार में पूछे गए सवाल का जवाब मिल गया था। अकबर ने अपने अंगरक्षकों को आदेश दिया कि इस लड़की को सही सलामत उसके घर पहुंचा दिया जाए और इसे भंडार घर से उपहार में खिलौने और ढेर सारी मिठाइयां दी जाए।

लड़की वहां से सही सलामत अपने घर पहुंच जाती है।

अगले दिन राजा अकबर का दरबार पुनः सजता  है अकबर , भीमसेन को वह कहते हैं –  ” भीमसेन तुम्हारे प्रश्न का जवाब मिल गया है ” , यह कहते हुए उन्होंने पूरी घटना को दरबारियों के सामने प्रस्तुत कर दिया।इस घटना से सभी बीरबल के बुद्धि बल पर प्रसन्न हुए , अब किसी को कोई संदेह नहीं था कि बीरबल बुद्धिमान है या नहीं। उस दिन से बीरबल का मान दरबार में और बढ़ गया।

Moral of this akbar birbal story

In akbar birbal series of stories. Birbal is on of the amazing wise man who always won attention with his wits. In this story also birbal shows his intelligence and solve the problematic situation easily. Akbar and other courts men in the end accepted that he is one of the important wise man for their country.

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सांतवीं कहानी -> दुनिया में कितने अंधे हैं

Hope you are loving these akbar birbal stories . Now read the second story

जैसा कि सभी लोगों को पता है  अकबर और बीरबल में निरंतर समस्या और समाधान का चक्कर लगा रहता था। राजा अकबर किसी भी समस्या में पड़ते थे तो उसका हल बीरबल निकाला करते थे।

इस कहानी में भी इसी प्रकार का वाक्य देखने को मिलता है।

राजा अकबर को एक दिन न जाने क्या समझ आता है कि वह बीरबल से एक ऐसा आंकड़ा तैयार करने को कहते हैं ,जिसके माध्यम से उन्हें पता चल सके कि दुनिया में कितने लोग अंधे हैं। बीरबल सूचि बनाने को तैयार हो गए।

बीरबल ने अकबर से एक दिन का समय मांगा और भरोसा दिया – 

” मैं एक दिन में यह सूचि/आंकड़ा तैयार करके दरबार में प्रस्तुत करूँगा।

बीरबल अपने घर को गए और वहां कुछ युक्ति सोचा। अगले दिन बीरबल दरबार के बाहर भेष बदलकर बैठ गए और डोरी बनाने लगे।

दरबार में जाने वाले सभी दरबारी उससे पूछते – ” अरे तुम यहां क्या कर रहे हो ”

ऐसा प्रश्न एक – दो व्यक्ति ने नहीं बल्कि दरबार में जाने वाले सभी लोगों ने पूछा।

सभी यही प्रश्न पूछते – ” अरे तू यहां क्या कर रहा है “

अकबर दरबार में जा रहे थे तभी उन्होंने देखा दरबार के बाहर एक व्यक्ति बैठा हुआ है , और वह रस्सी बांट रहा है।

राजा अकबर को गुस्सा आता है और वह उस व्यक्ति से पूछते हैं –

” अरे मुर्ख तू यहां बैठकर क्या कर रहा है ?

वह व्यक्ति कुछ नहीं बोलता और वहां से उठकर चला जाता है।

कुछ समय बाद बीरबल अपने वास्तविक रूप में दरबार में उपस्थित होता है। सभी दरबारी यह जानने को उत्सुक थे कि दुनिया में कितने लोग अंधे हैं ?

बीरबल के मुख पर तेज था , उनके पास राजा के द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर था , इसलिए वह मंद – मंद मुस्कुरा रहे थे।

Conversation between akbar and birbal

अकबर –  बीरबल तुमने सूची तैयार कर लिया ? दुनिया में कितने लोग अंधे हैं ? अकबर ने पूछा

बीरबल  – जी महाराज मैंने अंधे लोगों की सूची तैयार कर ली है।

अकबर –  तो बताओ दुनिया में कितने लोग अंधे हैं ?

बीरबल ने दरबार में सभी लोगों की ओर इशारा करते हुए बताया ,  यह सभी दरबारी अंधे हैं।

राजा को आश्चर्य हुआ !

अकबर ने पूछा यह कैसा मजाक है ?

बीरबल , अकबर की ओर इशारा करते हुए भी बोले , महाराज आप भी अंधे हैं।

अब अकबर को गुस्सा आने लगा।  बीरबल अब अपने दायरे से बाहर जा रहा है , और वह महाराज को ही अंधा बता रहा है।

अकबर  – तुम अपनी बात को साबित करो। दरबार में सभी उपस्थित लोग अंधे हैं , वरना तुम्हें मृत्युदंड दिया जाएगा।

बीरबल – महाराज में दरबार के बाहर बैठकर रस्सी बांट/बना  रहा था। यह सभी लोग देख रहे थे किन्तु फिर भी दरबार में आने वाले सभी लोग मुझे देखकर  पूछ रहे थे कि मैं क्या कर रहा हूं ? और महाराज आपने भी दरबार में आते समय मुझसे यही प्रश्न पूछा। अरे मुर्ख तू यहां बैठ कर क्या कर रहा है ?

जबकि महाराज आपने भी देखा कि मैं रस्सी बना रहा था।

बीरबल के जवाब से सबको संतुष्टि मिली और बीरबल की जान बच गई , सबने बीरबल के बुद्धि बल की खूब सराहना की।

Moral of this akbar birbal stories

Presence of mind is very important for a human being. This story tells you that you can come out with any problem in life if you think smartly. And you should have a confidence in your heart while dealing with tough problems.

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आठवीं कहानी -> सोने का खेत

अकबर के दरबार में एक दिन भोला से अकबर का प्रिय गुलदस्ता गिर कर टूट जाता है। भोला घबरा जाता है , वह जानता था कि यह गुलदस्ता अकबर का प्रिय गुलदस्ता है , और इसके टूटने के कारण अब अकबर मुझे दंड देंगे।

भोला घबराते – घबराते घर जाता है।

वहां उसे नींद भी नहीं आती कि ना जाने राजा क्या दंड देगा। अकबर ने जब गुलदस्ता ढूंढा तो उसे वहां नहीं मिला।

अकबर ने अपने सैनिकों से पूछा –

यहां पर किसकी ड्यूटी लगी थी , उसको बुला कर लाया जाए।

भोला को बुलाया गया भोला ने पहले झूठ बोला और बाद में स्वीकार किया की यह गुलदस्ता काम करते समय गिर कर टूट गया।

अकबर  ने उसे सच बोलने के लिए धन्यवाद कहा , किंतु झूठ बोलने पर उसे देश निकाला भी दिया।

अकबर अगले दिन दरबार में सच प्रिय होने की बाते कर रहे थे ।

दरबारी भी अकबर की हां में हां मिला रहे थे।

अकबर  –  क्या मेरे दरबार में भी कोई झूठ बोलता है ?

दरबारी – नहीं महाराज कभी झूठ नहीं बोला ,  झूठ से वह भी नफरत करते हैं , कोई कहता ‘ झूठ ‘ वह क्या होता है ?

मैं जानता भी नहीं , कोई कहता मैंने आज तक झूठ नहीं बोला।

अकबर दरबारियों के सच्चाई प्रिय होने पर गर्व कर रहे थे। किंतु बीरबल वहां बैठे थे राजा ने पूछा –

अकबर – क्यों बीरबल तुमने कभी झूठ बोला है ?

बीरबल  – जी महारज झूठ दो प्रकार का होता है एक सचाई के लिए और बेईमानी के लिए।

मैंने भी कभी न कभी झूठ अवश्य बोला होगा। बीरबल ने जवाब दिया।

अकबर को गुस्सा आता है

वह बीरबल के बात से क्रोधित होता हैं और उन्हें नवरत्न की पदवी से हटा देते हैं। इस पर दरबारी मन ही मन खुश होते हैं।

बीरबल अपने घर जाते हैं , वहां वह अपने मित्र को बुलाकर कहते हैं – 

शहर में ऐसे कारीगर को ढूंढो जो सोने का गेहूं बना सके ‘

बीरबल का मित्र ऐसा ही करता है वह बाजार जाकर कुशल सुनार से सोने का गेहूं बनवा लाता है।

बीरबल सोने का गेहूं लेकर राजा अकबर के पास जाता है।

अकबर  – क्यों बीरबल तुम्हें दरबार में आने के लिए हम ने मना किया था फिर दरबार में क्यों आये हो ?

अकबर गुस्से से पूछता है।

बीरबल –  जी अवश्य आपने अवश्य मना किया था , किंतु यहां देशहित और राज्य की बात थी इसलिए मुझे दरबार में आना पड़ा।

अकबर के पूछने पर बीरबल ने बोला  महाराज आपके राज्य में सोने की खेती की जा सकती है।

अकबर को आश्चर्य हुआ दरबारी भी आश्चर्यचकित रहे इस पर बीरबल ने अकबर को कहा – कल सवेरे आप सभी मेरे साथ खेत पर चलना मैं आपको सोने का खेत दिखाऊंगा।

सवेरे अकबर और सभी दरबारी खेत पहुंचते हैं।

बीरबल सोने का गेहूं दिखाकर अकबर से कहते हैं महाराज यह गेहूं कोई ऐसा व्यक्ति खेत में डालें जो झूठ नहीं बोलता हो तो गेहूं सोने का उगेगा। राजा ने अपने दरबारियों की ओर देखा जो गर्व से पिछले दिन झूठ न बोलने की मिसाले दे रहे थे। किंतु कोई भी दरबारी आगे नहीं आया।  बीरबल ने अकबर से कहा महाराज आप के दरबारी तो झूठ बोलते हैं , मैं भी झूठ बोलता हूं।

बचे आप , आप ही इस गेहूं के खेत में बो दीजिये।

अकबर के पसीने छूट गए

अकबर कहने लगा हां मैं भी कभी ना कभी झूठ बोलता हूं मैं कैसे गेहूं बो सकता हु । अकबर को सभी बातें समझ में आ गई थी , वह समझ गए थे कि कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो झूठ नहीं बोलता।

चाहे झूठ अच्छाई के लिए हो या बुराई के लिए किंतु झूठ का प्रयोग व्यक्ति करता ही है।

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10 thoughts on “अकबर बीरबल की कहानियाँ । 7 Akbar Birbal stories in hindi”

  1. सभी के सभी अकबर बीरबल की कहानियां बहुत अच्छी हैं और उनमें छिपी बीरबल की बुद्धि अति सराहनीय है.
    मुझे यह कहानियां पढ़ने में बहुत मजा आया.
    लेखक का धन्यवाद करना चाहूंगा

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    • आपका यह कमेंट हमारे लिए काफी प्रेरणादायक है

      Reply
      • Thanks for writing these Hindi stories. Akbar Birbal stories are my favorite from childhood days and love to read their stories. Keep it up writing like this.

        Reply
  2. बहुत बढ़िया अकबर बीरबल की कहानियां लिखी है सर आपने मुझे बहुत मजा आया यह सभी कहानियां पढ़ने में

    Reply
  3. इन कहानियों में से एक कहानी मजेदार थी। हर कहानी पुरानी थी और एक कहानी नई थी। मैं दूसरे लोगो को भी इस वेबसाइट से कहानी पढने के लिए प्रेरित करूँगा।

    Reply
  4. सभी अकबर बीरबल की कहानियाँ बहुत अच्छी हैं । मेरा आपसे अनुरोध है कि आप तेनाली रामन पर भी कहानियां डालें।

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