ई-रूपी योजना क्या है? e-RUPI kya hai in Hindi

भारत सरकार का ई-रूपी क्या है ? यह कैसे प्रयोग किया जा सकता है? इसकी समस्त जानकारी आज हम इस लेख में अध्ययन करेंगे।  भारत सरकार का क्या उद्देश्य रहा इस प्लेटफार्म को लांच करने के लिए उसे भी विस्तार पूर्वक समझने का प्रयत्न करेंगे।

ई-रूपी क्या है? कैसे काम करता है? e-RUPI kya hai

भारत सरकार 2014 से निरंतर डिजिटल जगत में नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। आज कैशलेस योजना के अंतर्गत आने को यू.पी.आई (UPI) बाजार में कार्य कर रही है। व्यक्ति सुविधाजनक रूप से अपने सेवाओं का भुगतान कर सकता है। उसे अपने साथ पैसे ले जाने की आवश्यकता नहीं होती।

वह मोबाइल के माध्यम से भुगतान कर सकता है।

इसी क्षेत्र में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 2 अगस्त 2021 को ई-रुपी e-RUPI का शुभारंभ किया है।

इस प्रणाली को नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने तैयार किया है। जो यू.पी.आई (UPI) पर आधारित है। इससे पूर्व यू.पी.आई प्रणाली को भी नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPC) ने तैयार किया था। भारत सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि वह जिस मद में लाभार्थी को लाभांश (पैसा) दे रही है वह उसी मद में खर्च करे।

उदाहरण के लिए –

  • अगर एक विद्यार्थी को पुस्तक के लिए पैसा दिया जा रहा है तो उस पैसों से विद्यार्थी पुस्तक ही खरीदेगा।
  • अगर किसी गर्भवती महिला को उसके पोषक आहार के लिए पैसे दिए जा रहे हैं तो इस कूपन के माध्यम से वह केवल पोषक आहार ही खरीद सकेगी।
  • किसान को फसल के बीच खरीदने के लिए सरकार पैसे दे रही है तो किसान केवल बीजों की खरीदारी ही कर सकेगा।

इस प्रणाली से पूर्व पैसों का अपव्यय किया जा रहा था।

विद्यार्थी अपने पैसों से किताब खरीदने के बजाय परिवार उन पैसों का उपयोग किया करता था। महिलाओं के पोषक आहार के बजाय दूसरे मद में पैसे खर्च किए जा रहे थे।

अनेक ऐसे उदाहरण है जहां पैसों का उचित प्रयोग नहीं किया जा रहा था।

इस कमियों को दूर करते हुए भारत सरकार ने ई-रूपी का शुभारंभ किया।

नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने इस प्रणाली को विकसित किया है।

शुरुआत में भारत स्वास्थ्य मंत्रालय , कोविड-19 टीकाकरण तथा वित्त मंत्रालय की सहभागिता के साथ विकसित किया है।

भविष्य में इसे अन्य क्षेत्रों से जोड़ा जाएगा।

ई-रूपी कैसे कार्य करेगा ?

जब सरकार किसी लाभार्थी को लाभांश (पैसे) वजीफे, आदि का भुगतान करेगी तो वह नगद या मुद्रा के रूप में नहीं बल्कि एक डिजिटल क्यूआर कोड का प्रारूप होगा इस कोड को वही भुलाया जा सकता है जिस मद में वह पैसे दिए गए हैं

जैसे स्वास्थ्य मंत्रालय किसी स्वास्थ्य सुविधा के लिए अगर क्यूआर कोड जारी कर रही है तो वह उससे संबंधित विभाग के पास ही उसका भुगतान किया जा सकता है इससे सरकार को यह पता रहेगा कि उसने जिस मद में पैसे का भुगतान लाभार्थी को किया है वह उचित जगह प्रयोग किया गया है।

इससे पूर्व सरकार लाभार्थी को भुगतान किया करती थी

लाभार्थी उस पैसों का अनेक मदों में प्रयोग किया करता था अनेक ऐसे समाचार देखने को मिले जहां भुगतान के पैसों से मोटरसाइकिल या घर बनाए जा रहे हैं जबकि इस मद में सरकार ने लाभार्थी को पैसे नहीं दिए थे इस प्रणाली से उचित मदर में पैसे का प्रयोग किया जा सकेगा तथा पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।

अगर आप अपने पैसों से पचास गरीबों की किसी सुविधा का प्रबंध करना चाहते हैं, तो यह QR-code आप 50 गरीबों को दे सकते हैं।

वह गरीब व्यक्ति आपके qr-code का प्रयोग जिसके लिए आपने जारी किया है।

अगर आपने भोजन के लिए क्यूआर कोड दिया है तो वह उस पैसों का प्रयोग भोजन के लिए ही कर सकता है ना कि मदिरापान या अन्य मदों में।

  • इस कोड का प्रयोग केवल एक बार ही किया जा सकता है।
  • यह क्यूआर कोड उसी डेस्क पर लागू होगा जहां के लिए इसे जारी किया गया है। जैसे हॉस्पिटल के लिए जारी किया गया है तो हॉस्पिटल में ही यह वैध होगा।
  • जारीकर्ता तथा लाभार्थी के बीच पारदर्शिता बढ़ेगी।
  • जारी किए गए लाभांश का दुरुपयोग रुकेगा।
  • देश विरोधी गतिविधियों में सरकारी पैसे का प्रयोग नहीं हो पाएगा।

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निष्कर्ष

सरकार निरंतर भारत में डिजिटलीकरण को बढ़ावा दे रही है।

जहां पूर्व समय में सरकारें खुद माना करती थी ₹100 लाभार्थी तक भेजने की प्रक्रिया में ₹85 बीच में गायब हो जाया करते थे, लाभार्थी को केवल ₹15 का ही लाभ मिल पाता था। आज डिजिटलीकरण की प्रक्रिया ने कुछ भ्रष्टाचार को मुक्त कर दिया है।

सरकार इस दिशा में निरंतर प्रगति कर रही है।

ई-रूपी प्रणाली का प्रयोग और अधिक पारदर्शिता को लाने के लिए किया गया है।

इससे सरकार तथा लाभार्थी के बीच पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही लाभांश का दुरुपयोग रुकेगा।

संबंधित विषय से प्रश्न पूछने के लिए कमेंट बॉक्स में लिखें हम आपके प्रश्नों के तत्काल समाधान करेंगे।

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