लोभ और प्रीति – आचार्य रामचंद्र शुक्ल। lobh or priti | sukl | hindi notes

इस लेख में आज हम पढ़ेंगे आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित लोभ और प्रीति निबंध पर नोट्स जो आपको आपके परीक्षा में मदद करेंगे। इस लेख को अंत तक ध्यान पूर्वक अवश्य करें ताकि आपको किसी प्रकार की इस विषय से जुड़ी कोई समस्या ना रह जाए।

लोभ और प्रीति

लोभ वस्तु परक होता है और प्रेम व्यक्तिपरक।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंध की शैली यह है कि वे पहले उसे परिभाषा में बांधते हैं फिर उसकी व्याख्या करते हैं।

लोभ किस सीमा तक बुनियादी जरुरत है किस सीमा के बाद लोलुपता में बदल जाता है ,दृष्टान्त देते हुए सिद्ध करते  हैं।

लोभ चाहे जिस वास्तु का हो जब बहुत बहुत बढ़ जाता है तब उस वस्तु की प्राप्ति उसके उपभोग से जी नहीं भरता।

मनुष्य चाहता है कि वह बार – बार मिले या बराबर मिलती रहे।

धन का लोभ जब रोग होकर चित में घर कर लेता है , तब प्राप्ति होने पर भी और पर भी इच्छा जगी रहती है।

जिसके कारण मनुष्य सदा आतुर और प्राप्त के आनंद से विमुख रहता है।

वस्तु के अभाव की भावना होते ही प्राप्ति की इच्छा प्रबल होती है और लोभ जागता है।

दूसरे की वस्तु का लोभ करके लोग उसे लेना चाहते है ,अपनी वस्तु का लोभ करके लोग उसे देना या नष्ट होने नहीं देना चाहते।

विशिष्ठ वास्तु या व्यक्ति के प्रति लोभ होने पर वह साहित्य रूप प्राप्त करता है जिसे प्रीति या प्रेम कहते है।

जहाँ लोभ सामान्य या जाति के प्रति होता है वहां वह लोभ ही रहता है।

पर जहाँ किसी जाती के एक ही विशेष व्यक्ति के प्रति होता है वहां वह ‘प्रीति ‘का पद प्राप्त करता है।

लोभ सामान्योन्मुख होता है और प्रेम विशेषोन्मुख।

किसी विशेष वास्तु पर इस प्रकार मुग्ध रहना कि उससे कितनी ही अच्छी – अच्छी वस्तुके सामने आने पर भी उस विशेष वस्तु के प्रवृति न हटे ,रूचि या प्रेम है।

किसी स्त्री या पुरुष के रूप की प्रशंसा सुनते ही पहला भाव लोभ का होगा।

मन की ललक यदि वास्तु के प्रति होती है तो लोभ और प्राणी या मनुष्य के प्रति होती है तो प्रीति कहलाती है।

 

यह भी जरूर पढ़ें –

नाटक के तत्व

कहानी के तत्व । हिंदी साहित्य में कहानी का महत्व।

राम काव्य परंपरा

सूर का दर्शन 

सूर के पदों का संक्षिप्त परिचय

उपन्यास के उदय के कारण।

काव्य। महाकाव्य। खंडकाव्य। मुक्तक काव्य

काव्य का स्वरूप एवं भेद

उपन्यास और कहानी में अंतर

उपन्यास की संपूर्ण जानकारी

भाषा की परिभाषा

प्रगतिशील काव्य

भाव या अनुभूति

आदिकाल की मुख्य प्रवृतियां

आदिकाल की परिस्थितियां 

देवसेना का गीत। जयशंकर प्रसाद।

परशुराम की प्रतीक्षा 

राम – परशुराम – लक्ष्मण संवाद

 नवधा भक्ति 

कवीर का चरित्र चित्रण

सूर के पदों का संक्षिप्त परिचय

भ्रमर गीत

गोदान की मूल समस्या

प्रेमचंद कथा जगत एवं साहित्य क्षेत्र

मालती का चरित्र चित्रण

हिंदी यात्रा साहित्य

जीवनी क्या होता है।

संस्मरण

 जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं |

 कवि नागार्जुन के गांव में 

 

कुछ शब्द 

अगर आपको यह लेख पसंद आया और कामयाब लगा तो अपने सहपाठियों के साथ अवश्य साझा करें और अपने विचार नीचे कमेंट बॉक्स में प्रकट करें। अगर आपको किसी प्रकार की कोई खामी नजर आती है या फिर आप हमें कुछ और सूचित करना चाहते हैं तो आप कमेंट बॉक्स का सहारा लेकर वह सब कह सकते हैं। हम जल्दी से जल्दी आपका रिप्लाई करेंगे और आपकी समस्या को सुलझाने का प्रयास करेंगे। 

 

अगर आपको ये पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसको ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचाएं  |

व्हाट्सप्प और फेसबुक के माध्यम से शेयर करें |

और हमारा एंड्राइड एप्प भी डाउनलोड जरूर करें

कृपया अपने सुझावों को लिखिए हम आपके मार्गदर्शन के अभिलाषी है 

facebook page hindi vibhag

YouTUBE

Sharing is caring

Leave a Comment