Today we will read Mahatma Gandhi Hindi stories based on different events in the life of him.
हम सभी महात्मा गांधी जी से भलीभांति परिचित हैं और उनके किए गए महान कार्यों और बलिदानों को हम कभी नहीं भूल सकते। वह बहुत ही साहसी व्यक्ति थे और साथ ही साथ हर गलत चीज के खिलाफ आवाज उठाने का हौसला रखते थे। उनके इन्हीं गुणों के कारण उन के बहुत सारे अनुयाई आज के जमाने में भी है जो उनके पद चिन्हों पर चलते हैं।
आज हम महात्मा गांधी जी पर उनकी जिंदगी से प्रेरित हिंदी कहानियां लेकर आए हैं जिन्हें पढ़कर आपको बहुत हौसला मिलेगा।
1. देश सेवा की सच्ची भावना
( Inspirational Mahatma Gandhi Hindi stories )
गांधीजी साबरमती आश्रम में रहते थे , यह उस समय की बात है जो अब असहयोग का आंदोलन आरंभ हो गया था। लोगों में देश प्रेम की भावना आने लगी थी और उन्होंने अंग्रेजों को देश से निकाल भगाने और स्वदेशी अपनाने की ठान ली थी।
एक नवयुवक गांधी जी के पास आया और उसने अपना परिचय देते हुए कहा –
मैं ! पढ़ा लिखा हूं , अंग्रेजी जानता हूं , उच्च कुलीन हूं , कृपया आप मेरे स्तर का कोई कार्य बताइए ! मैं देश सेवा करने का जज्बा रखता हूं और मैं आपको असहयोग आंदोलन में सहायता करना चाहता हूं।
गांधीजी धैर्य से उस युवक का पूरा परिचय सुनते रहे किंतु ज्यों ही युवक ने अपना परिचय देना समाप्त किया , वैसे ही गांधी जी बोले फिलहाल आश्रम के लिए भोजन बनाने की व्यवस्था करनी है , इसके लिए तुम चावल बिनने में मेरी सहायता करोगे ?
युवक ने अनमने ढंग से गांधी जी के साथ चावल बिनने के कार्य में हाथ बटाया।
उसे यह कार्य करते हुए तनिक भी अच्छा नहीं लग रहा था।
उसने कल्पना की थी गांधीजी उसकी योग्यता के अनुसार उसे कार्य बताएंगे , किंतु हुआ विपरीत। संध्या का समय था वहां रह रहे लोग आश्रम की सफाई व्यवस्था में लगे हुए थे , ऐसा देखकर उस नवयुवकों तनिक भी अच्छा नहीं लग रहा था।
वह नवयुवक उठा और महात्मा जी से आज्ञा लेना चाहा।
अच्छा महात्मा जी अब आज्ञा दीजिए रात्रि का खाना मैं थोड़ा जल्दी खाता हूं , इसलिए हम मुझे घर जाने की आज्ञा दीजिए। महात्मा ने उस नवयुवक के कंधे पर स्नेह भरा हाथ रखा और कहा आप में देश सेवा की भावना है। यह बहुत ही अच्छी बात है सराहनीय है। किंतु देश सेवा की भावना स्वच्छ मन और निर्मल मन से होना चाहिए। इसमें अपने आप को श्रेष्ठ ना समझ कर सबको समान मानते हुए देश हित में कार्य करना चाहिए।
मैं जो कहना चाहता हूं वह आप समझ रहे होंगे।
वह नवयुवक गांधी जी के बातों को भलीभांति समझ रहा था उसने गांधी जी से हाथ जोड़कर क्षमा मांगा और कहा मैं आपकी बातों को भलीभांति समझ रहा हूं। मुझे क्षमा करिए मैं आगे से स्वयं को श्रेष्ठ और अन्य को नीचा नहीं समझूंगा और सच्चे मन से देश सेवा करूंगा।
महात्मा जी ने उस नवयुवक को सराहाते हुए गले लगा लिया इससे उस नवयुवक की आंखें भर आई।
मोरल –
सच्ची देश भक्ति के लिए केवल हिम्मत और जज्बा ही आवश्यक नहीं है अपितु यह भी आवश्यक है कि वह देश में रहने वाले सभी लोगों को एक समान दृष्टि रखते हुए देखे ऊंच-नीच का बिना भेद किए हुए सभी लोगों को अपनाएं अन्यथा उसकी देश भक्ति का कोई मतलब नहीं रह जाता। अपने देश मे रहने वाले एक वर्ग को नीची दृष्टि से देखें तो यह देश के अखंडता पर भी खतरा होता है।
2. खादी की क्रांति
( Inspirational Mahatma Gandhi Hindi stories )
महात्मा गांधी साबरमती के आश्रम में थे। गांधी जी से मिलने वालों का तांता लगा रहता था। शाम को जब वह आगंतुकों से मिल रहे थे , तभी चंपारण से आए हुए एक किसान से मुलाकात हुई।
किसान ने गांधीजी को चंपारण में हो रहे अत्याचार और मानवीय मूल्यों का ह्रास के प्रति ध्यान आकृष्ट किया। किसान ने बताया वहां किस प्रकार अंग्रेजों के इशारे पर सेठ-साहूकार साधारण किसानों का शोषण कर रहे हैं। उनकी सारी उपज अंग्रेजों के नाम हो जाती है। यहां तक की तन पर कपड़े नहीं , खाने को घर में भोजन नहीं।
गांधी जी को किसान ने चंपारण में आने का निमंत्रण दिया।
किसान के मुख से चंपारण की हालत सुनकर गांधी जी का हृदय कांप उठा। उन्होंने तत्काल चंपारण जाने का मन बना लिया।
चंपारण में पहुंचकर गांधीजी ने वहां की वास्तविकता को अपनी आंखों से देखा। स्त्रियों के तन पर फटे-पुराने मेले कपड़े थे। कई स्त्रियां कपड़ों के अभाव में घर से बाहर नहीं निकलती थी।
किसानों द्वारा किए गए उपज पर अंग्रेजों और साहूकारों का अधिकार था। वहां के लोग अपने मन मुताबिक कुछ भी नहीं कर सकते थे। वह विदेशी वस्तुओं पर आश्रित थे। यहां तक कि कपड़े जैसी मूलभूत आवश्यक वस्तु भी।
गांधीजी ने अंग्रेजो को सबक सिखाने के लिए खादी के वस्त्र निर्माण करने को प्रेरित किया। गांधी जी ने वहां के जनता को संबोधित करते हुए बताया – स्वयं किस प्रकार चरखे से खादी के वस्त्र बना सकते हैं। पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर हो सकते हैं। उन्हें ऐसा करके अंग्रेजों को करारा जवाब देना चाहिए , जो उनका निरंतर शोषण करते हैं।
आश्रम के स्वयंसेवकों ने गांधीजी के विचारों को आगे बढ़ाया। चंपारण के लोगों को चरखे से वस्त्र निर्माण करना सिखाया। देखते ही देखते यह क्रांति के रूप में परिवर्तित हो गया। खादी के वस्त्र की मांग पूरे देश में बढ़ गई।खादी क्रांति के प्रभाव से विदेशों में भी खादी के वस्त्रों की पहुंच हो गई।
मोरल –
- बड़े से बड़े चुनौती को मिलकर दूर किया जा सकता है।
- कुछ कर गुजरने का ठान लो तो फिर किसी भी कठिन कार्य को सरलता से किया जा सकता है।
- गुलामी मानव जीवन के लिए अभिशाप है।
3. गांधी जी का जवाब – Mahatma Gandhi Hindi stories
स्वाधीनता संग्राम में गांधीजी का योगदान अविस्मरणीय है। गांधीजी ने स्वाधीनता संग्राम में जिस प्रकार योगदान दिया , वह आज भी देश में याद किया जाता है। शायद यही कारण था कि आज भी उन्हें राष्ट्रपिता के नाम से संबोधन किया जाता है। जिस प्रकार गांधी जी ने स्वाधीनता आंदोलन के लिए असहयोग आंदोलन , भारत छोड़ो आंदोलन , नमक आंदोलन आदि अनेक प्रकार के आंदोलनों का सूत्रपात किया , जो स्वाधीनता संग्राम में मील का पत्थर साबित हुआ। इस आंदोलन के दौरान उन्हें कितनी ही बार जेल भी जाना पड़ा।
उन्होंने बिना कुछ सोचे समझे अपनी गिरफ्तारी दी , और वहां रह रहे भारतीय कैदियों के साथ स्वाधीनता संग्राम में जुड़ने की बात किया करते थे , और जेल में रहते हुए भी अपने आंदोलन को चलाया करते थे।
एक दिन की बात है गांधी जी जेल में थे उन्हें एक लंबा चौड़ा पत्र मिला , जिसमें ढेर सारे सवाल किए गए थे।
यह पत्र भोलानाथ का था।
भोलानाथ ने गांधी जी से ढेर सारे सवालों के जवाब मांगे थे।
गांधी जी अपने सहयोगी से उन सभी सवालों के जवाब धैर्य पूर्वक लिखवा रहे थे। ऐसा देखते हुए उनके सहयोगी रह नहीं पाया और उसने गांधी जी से प्रश्न किया – क्या इन सभी प्रश्नों के जवाब लिखवाना अनिवार्य है ?
गांधी जी ने नम्रता पूर्वक कहा बिल्कुल भोलानाथ का प्रश्न केवल भोलानाथ का नहीं होकर अपितु हर एक भारतीय का प्रश्न है। इसलिए इसे जवाब लिखवाना ही पड़ेगा और जवाब देने की प्रवृत्ति यदि आप में है तो आपसे महान कोई नहीं है। किसी भी प्रश्न का जवाब देने का सामर्थ्य व्यक्ति में होना चाहिए और भोलानाथ ने तो मुझे उस समय मदद की , जब मुझे मदद की बेहद ही सख्त आवश्यकता थी।
जब मैंने आंदोलन आरंभ किया था तो वह पहला व्यक्ति है जिसने मेरे साथ कंधे से कंधे मिलाकर सबसे पहले खड़ा हुआ और जेल भी गया। यही नहीं भोलानाथ असहयोग आंदोलन में अपनी जमीं – जमाई सरकारी नौकरी छोड़ने वाला पहला स्वयंसेवक था। ऐसे स्वयंसेवकों का आभारी में मरते दम तक रहूंगा मैं उनका सहयोग और उनका परिश्रम कभी नहीं भुला सकूंगा।
ऐसा कहते – कहते महात्मा गांधी भावुक हो गए , उनकी आंखें नम हो गई और गला भर आया अब सभी को समझ आ गया था कि गांधीजी के विचार क्या है वह अपनी कृतज्ञता के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
मोरल –
- किसी के द्वारा पूछे गए प्रश्न से बचना नहीं चाहिए बल्कि उसका सामना करना चाहिए।
- जिस किसी ने तुम्हारी मदद की हो उसके लिए सदैव कृतज्ञता का भाव अपने हृदय में रखना चाहिए।
- किसी भी बड़े उद्देश्य को पूरा करने से पूर्व अपने हृदय को पवित्र रखना परम आवश्यक है।
4. वचन के प्रति दृढ़ – Best Mahatma Gandhi Hindi stories
असहयोग आंदोलन गांधीजी ने बड़े पैमाने पर शुरू तो कर दिया। आंदोलन ने देखते ही देखते विकराल रूप धारण कर लिया। आंदोलन सुचारू रूप से चल सके इसके लिए धन की आवश्यकता हुई ।
गांधी जी ने अपने कार्यकर्ताओं से स्वेक्षा से सहयोग करने का आह्वान किया। देशभर के कार्यकर्ताओं ने गांधी जी के इस आह्वान में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
देखते ही देखते उनके पास पर्याप्त धन जुट गया। यह धन प्रत्येक घर से मिलने वाला था।
इसमें जाति-धर्म-पंथ आदि का कोई दुराग्रह नहीं था।
गांधीजी अपने आश्रम में बैठे थे , उनके शिष्य से आंदोलन के विषय में सलाह-मशवरा कर रहे थे।
आश्रम में तभी एक साहूकार का आना हुआ।
साहूकार ने गांधी जी के आंदोलन में सहयोग की राशि को देने की इच्छा जाहिर की।
यह सहयोग राशि काफी बड़ी थी , किंतु उससे बड़ा साहूकार का स्वार्थ था।
साहूकार ने गांधी जी को प्रणाम किया और उनके आंदोलन में मोटी राशि सहयोग रूप में भेंट किया।
किंतु साहूकार ने इस राशि को दलितों और हिंदुओं पर खर्च न करने के लिए कहा।
साहूकार का कहना था – मेरा यह धन मुस्लिम के कल्याण में खर्च किया जाए।
गांधीजी वचन से बंधे हुए थे , उन्होंने उस राशि को तत्काल साहूकार को वापस लौटा दिया।
उनके इरादों को गलत बताते हुए आश्रम से बाहर जाने को कहा।
गांधी जी ने ऐसे राशि को कभी स्वीकार नहीं किया , जो पूर्वाग्रह से ग्रसित हो।
यही कारण है गाँधी जी ने सहयोग राशि को पारदर्शी रखा।
मोरल –
- किसी भी कार्य को पूरी निष्ठा के साथ किया जाना चाहिए।
- कार्य को करते समय कैसी भी परिस्थितियां हो बुरी संगत में आने से बचना चाहिए।
- समाज कल्याण का यह अर्थ जाति , धर्म , मजहब , पंथ से ऊपर होना चाहिए।
5 बलि प्रथा का विरोध
चंपारण के दौरे पर जब गांधीजी पहुंचे उन्होंने देखा एक जुलूस देवी स्थान की ओर जा रही है। वह भीड़ ढोल-नगाड़ा बजाकर नाचते-गाते जा रही था। भीड़ से बकरे की करुण आवाज जोर-जोर से आ रही थी
गांधी जी को आश्चर्य हुआ यह भीड़ के बीच से बकरे की आवाज कैसे आ रही है ?
स्वयंसेवकों से पूछताछ की तो मालूम हुआ बकरे को बलि के लिए देवी स्थान ले जाया जा रहा है। इस बकरे की बलि से देवी को प्रसन्न किया जाता है।
किसी भी प्रकार के दुष्कर कार्य की पूर्ति के लिए बकरे की बलि शुभ मानी जाती है।
गांधीजी को बड़ा ही आश्चर्य हुआ। इस प्रकार की बातों को उन्होंने सुना तो था , आज देख भी लिया।
तत्काल वह देवी स्थान पहुंच गए , बकरे की गले में बंधी रस्सी को पकड़ लिया।
लोग गांधी जी को जानते थे और उनका बड़ा आदर करते थे।
सभी को आश्चर्य हुआ गांधी जी ने आखिर ऐसा क्यों किया। पूछने पर गांधी जी ने कहा बकरे की बलि देने पर अगर देवी प्रसन्न होती है , तो मनुष्य की बलि देने पर और प्रसन्न होंगी। मनुष्य की बलि देने पर सभी मनोवांछित कार्य पूरे होंगे।
इसलिए बकरे के स्थान पर मेरी बलि दी जाए , लोगों को आश्चर्य हुआ।
गांधी जी ने इस प्रकार के अंधविश्वास और बलि के रूप में जीव हत्या को विस्तार से लोगों को समझाया।
वहां के लोगों ने गांधी जी से हाथ जोड़कर माफी मांगी और जीव हत्या ना करने की कसम भी खाई।
तब से कुछ अपवाद के अतिरिक्त वहां जीव हत्या जैसा कोई समाचार सुनने को नहीं मिला।
मोरल –
- जीव हत्या से बढ़कर दूसरा और कोई पाप नहीं हो सकता।
- अंधविश्वास व्यक्ति को बुरे कर्म करने पर विवश करती है।
- भीड़ और गलत संगत का साथ कभी नहीं देना चाहिए। इनके संपर्क में रहने से स्वयं ही पाप के भागी बन जाते हैं।
More Hindi stories for you
Hindi stories for class 1, 2 and 3
Moral hindi stories for class 4
Akbar birbal stories in hindi with moral
Motivational story in hindi for students
3 Best Story In Hindi For kids With Moral Values
7 Hindi short stories with moral for kids
Hindi panchatantra stories पंचतंत्र की कहानिया
5 Famous Kahaniya In Hindi With Morals
3 majedar bhoot ki kahani hindi mai
जादुई नगरी का रहस्य – Jadui kahani
Hindi funny story for everyone haasya kahani
17 Hindi stories for kids with morals
Guru ki mahima hindi story – गुरु की महिमा
Jitiya vrat katha in hindi – जितिया व्रत कथा हिंदी में
देश प्रेम की कहानी | Desh prem ki kahani hindi story | देशभक्ति
दिवाली से जुड़ी लोक कथा | Story related to diwali in hindi
कोरोना वायरस पर हिंदी कहानियां
Final words
I hope these Mahatma Gandhi Hindi stories must be liked by you. If these stories really inspired you in any way then you can tell us your views in comment section.
आशा है आप को महात्मा गांधी पर लिखी यह सभी कहानियां बहुत पसंद आई होगी। और आपको इन सभी कहानियों के द्वारा प्रेरणा प्राप्त हुई होगी। अगर आपको कोई विचार प्रकट करना है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में खुलकर लिख सकते हैं। साथ ही साथ हमें यह भी बता सकते हैं कि आगे आप को किस प्रकार की कहानियां चाहिए और किस महान पुरुष पर।
Follow us here
Your content is so valuable. I am really happy after reading this article. In this article, all information is really useful.
Best stories on Mahatma Gandhi. I love to read these stories. Thank you so much for writing and presenting it well.
Mahatma gandhi is a great man in the world.
महात्मा गांधी सच में एक महान व्यक्ति थे और यह सभी कहानियां जो आपने यहां प्रस्तुत की हैं उनकी महानता को दिखाते हैं. इन कहानियों को लिखने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद