Prem katha love story in Hindi – प्यार की सच्ची कहानी

We will read today the prem katha love story in Hindi. This story is long and has many emotional sides which will make you entertain.

प्रेम प्रकृति प्रदत है , प्रेम की कोई जाति , आयु या कोई सीमा निर्धारित नहीं है। प्रेम कब और कहां किससे हो जाए , यह सभी संयोग और समय के गर्त में छिपा हुआ होता है। प्रेम से बढ़कर कोई हथियार नहीं है , कहा जाता है कि प्रेम से शत्रु पर विजय प्राप्त की जा सकती है। इस सृष्टि में प्रेम से सुंदर और कोई चीज नहीं है। स्वयं भगवान भी प्रेम के वशीभूत अपने भक्तों से जुड़ जाते हैं।

आज हम प्रेम की एक अनोखी कहानी लिखने जा रहे हैं , जिसमें जीवन और पारिवारिक संघर्ष के बाद प्रेम की प्राप्ति होती है। यह प्रेम अटूट , अविश्वसनीय और सम्मान की भावना से परिपूर्ण है।

आशा है आपको यह कहानी पसंद आएगी –

 

Prem katha Love story in Hindi – प्यार की एक अनोखी कहानी

Read below prem katha in hindi which is entertaining and interesting.

सुधीर और दिनेश दोनों हॉस्टल में एक साथ पढ़ते थे और दोनों साथ रहते थे।

हॉस्टल की पढ़ाई पूरी करके हॉस्टल खाली करना था। सुधीर अपने दोस्त दिनेश को अपने घर ले आता है , क्योंकि दिनेश का कोई रिश्तेदार या माता-पिता नहीं थे वह बचपन से ही अकेला था।

सुधीर अपने दोस्त के साथ घर पहुंचता है और वहां दोनों का स्वागत होता है।

दिनेश का परिचय पूरे परिवार से कराया जाता है और कुछ दिन रहने की बात सभी परिवार को बता दी जाती है।

घर में रहते – रहते दिनेश का व्यवहार सभी घर के लोगों को भा गया।

घर के लोगों को कभी ऐसा नहीं लगा कि वह कोई बाहरी व्यक्ति है।

समय के साथ – साथ दिनेश का स्थान घर में वही हो गया जो सुधीर का था।

अर्थात दिनेश को घर वाले अब अपने बेटे से कम नहीं समझते थे।

दिनेश अब खाली बैठना नहीं चाहता था , इसलिए शहर में एक अच्छा सा काम देखकर उसको करने लगा। गांव और शहर के बीच लगभग चार किलोमीटर का फासला था। इसलिए दिनेश को बस या किसी अन्य सवारी के साथ शहर और गांव के बीच आना जाना पड़ता था।

दिनेश ज्यों ही बस पर चढ़ने लगा , वैसे ही सेठ संजय भी चढ़ने लगे और दोनों आपस में टकरा जाते हैं। दिनेश को धक्का लगता है और वह बस से नीचे गिर जाता है। दिनेश को लगता है कि सेठ ने जानबूझकर यह काम किया , किंतु यह गलती से हुआ था। सेठ ने दिनेश से माफी मांगी , किंतु दिनेश को यही लग रहा था किस सेठ ने जानबूझकर किया , फिर भी दिनेश ने माफी दे दी।

संयोग ऐसा हुआ कि सेठ पिछली सीट पर बैठे थे और दिनेश अगली सीट पर।

जैसे ही सेट बस से उतरने के लिए सीट से खड़े हुए , दिनेश का पैर सीट से बाहर की ओर आया हुआ था।

सेठ दिनेश के पैर से टकराकर नीचे गिर गए।

अब सेठ को अपमान महसूस हुआ , और दिनेश पर क्रोधित हुए किंतु दिनेश ने कोई गलती जानबूझकर नहीं की थी।

यह अचानक और अनायास ही यह घटना घटित हुई थी।

दिनेश ने काफी अनुनय – विनय किया और माफी मांगी।

किंतु सेट पर कोई असर नहीं हुआ , सेठ ने ठान लिया कि यह गलती बदले की भावना से की गई है।

एक  दिन की बात है

एक  दिन की बात है दिनेश कार से शहर जा रहा था रास्ते में कीचड़ भरी एक गली थी , जिसको पार करना था। पैदल यात्री ईट और बांस – बल्ली के सहारे पार करते थे। किंतु गाड़ी तो कीचड़ में घुसकर ही जाती थी , कार जैसे ही कीचड़ भरी गली में पार करने लगी।

गली दोनों तरफ से छोटी थी इसलिए छींटे दोनों तरफ दीवार पर पड़ने लगे।

कुछ दूर आगे कार बढ़ी तो दिनेश ने देखा – एक लड़की डर के मारे पत्थर पर खड़ी है जो आँख मूंदे हुए यही प्रार्थना कर रही है कहीं कार की रफ्तार से कीचड़ न पड़ जाए और कपड़े गंदे ना हो जाए।

दिनेश ने अपनी कार की रफ्तार धीमी कर ली , ताकि कीचड़ से उस लड़की को बचाया जा सके।

ऐसा ही हुआ कीचड़ का एक छोटा भी उस लड़की पर नहीं पड़ा।

सुधीर और दिनेश दोनों अब भाइयों की तरह रहने लगे , दोस्ती का स्थान अब भाई ने ले लिया था।

दोनों सवेरे की सैर करके घर लौटे तो दिखा घर के बाहर किसी अतिथि के स्वागत की निशानियां पड़ी थी।

पूछने पर मालूम हुआ कि कोई रिश्तेदार की बेटी मनीषा घर आई है।

दिनेश और मनीषा एक – दूसरे को देखते ही पहचान गए थे।

उस दिन कीचड़ वाली गली में दिनेश ने मनीषा को कीचड़ से बचाया था , उसी समय दोनों एक दूसरे को भा गए थे , किंतु मिलना आज हुआ।

धीरे-धीरे मनीषा और दिनेश में काफी नजदीकियां होती रही  दोस्ती और दोस्ती से प्रेम न जाने कब हो गया समझ नहीं आया।

Long and interesting prem katha

सुधीर एक कार डेढ़ लाख का सेठ संजय से खरीदना चाहता था , जिसके लिए उसने ₹75000 एडवांस जमा करवा दिया था। दिनेश को कार की जानकारी थी।  जब सुधीर ने अपने मित्र दिनेश को कार दिखाया और उसका मूल्य आंकने के लिए कहा तो , सारी कमियों को बताते हुए कार की कीमत मात्र 50000 तय कर बताया।

दिनेश ने अपनी राय दिया  कहा यह 50,000 से अधिक की कार नहीं है।

सुधीर ने सेठ संजय के पास जाकर अपने पैसे वापस ले लिए और कार की बुकिंग कैंसिल कर दी।

सेठ को मालूम हुआ कि दिनेश ने इस कार का मूल्य तय किया है।

अब सेठ का गुस्सा और बढ़ा दिया जैसे किसी ने शांत ज्वाला को हवा दे दी हो।

सेठ ने यह अपना अपमान समझा और कार को वही आग लगा दी।

दिनेश और मनीषा के प्यार से अब पूरा घर वाकिफ हो चुका था और दोनों के रिश्ते से पूरा परिवार खुश था।

सभी ने तय किया कि दोनों की शादी जल्दी करवा दिया जाएगा।

मनीषा और दिनेश दोनों को एक – दूसरे के बिना जीना अब पसंद नहीं था , बस मनीषा के मां-बाप दिनेश को पसंद कर ले और अच्छा सा मुहूर्त देखकर दोनों की शादी करवा दें , बस इसी का इंतजार था। मनीषा के माता – पिता लड़के को देखने घर आते हैं , वहां लड़के के रूप में स्वयं दिनेश था। दिनेश को देखकर मनीषा के पिताजी बेहद ही आक्रोश में भर आए , क्योंकि यह कोई और नहीं सेठ संजय ही था। सेठ संजय की क्रोधाग्नि भीतर ही भीतर उसको जलाए जा रही थी , इसलिए सेठ संजय ने दोनों के रिश्ते को कभी ना होने के लिए कहकर रिश्ता जोड़ने से इनकार कर दिया।

Interesting and long Love story in hindi

गांव में एक मेला लगा था , जिसमें सभी लोग गए हुए थे।

मेला वर्ष में एक बार लगता था , इसलिए दूरदराज के गांव से भी लोग आए हुए थे। मेले का उद्घाटन सुधीर के दादाजी चक्रधर को करना था। सेठ संजय भी कमेटी के अध्यक्ष थे , इसीलिए सेठ संजय का भी पूरा परिवार मेले में उपस्थित था।

मनीषा ने भाभी के बच्चे को गोद लिया हुआ था , जिसने मनीषा के साड़ी पर सुसु कर दिया था।

उसको साफ करने के लिए मनीषा कुएँ पर जाती है।

जहां गांव का एक अय्याशी व्यक्ति अब्बास उसके साथ अश्लील हरकत करने की कोशिश करता है।

जिसको दिनेश देख लेता है और उसकी खूब पिटाई करता है।

जब लोग दोनों को पकड़ लेते हैं और बीच-बचाव करते हैं और लड़ाई के कारण को जानना चाहते हैं तो दिनेश , मनीषा की बदनामी ना हो इसके लिए चुप रह जाता है। इस मौके को देखकर अय्याशी व्यक्ति अब्बास कहने लगता है – यह सेठ संजय को उल्टी – सीधी बातें कह रहा था और गालियां दे रहा था , मैंने रोका तो हाथापाई शुरू कर दी।

दिनेश चुप रहा सभी लोग अब दिनेश को ही दोषी मानने लगे।

सेठ संजय तो पहले ही उसको दोषी मानते थे , इसलिए उनको कोई फर्क नहीं पड़ा कि वह निर्दोष है।धीरे-धीरे समय बीतता गया संजय और दिनेश के बीच की दुश्मनी गहरी शत्रुता में बदलती रही। दिनेश ने सोचा कि वह यह गांव को छोड़कर कहीं अपने किसी दूसरे स्थान पर जाकर नौकरी करेगा।

यहां इस प्रकार की घटनाओं से लोगों को गलत संदेश जाएगा और मनीषा की बदनामी होगी।

Interesting prem katha

दिनेश अब मनीषा से दूर जाना चाहता था ,ट्रेन की टिकट बुक थी।

गांव से शाम को एक ट्रेन हैदराबाद के लिए जाती थी। दिनेश स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहा था , तभी अचानक मनीषा सामने आई।

उसके हाथों में एक थैला था , जिसमें उसके सामान और कपड़े थे।

पूछने पर मालूम हुआ कि वह घर से भाग कर आई है और वह भी दिनेश के साथ जाना चाहती है। मनीषा अब क्योंकि दिनेश के बिना नहीं रह सकती थी। दिनेश ने अपनी सारी बेगुनाही का कच्चा चिट्ठा मनीषा के सामने सुनाया और उसे समझाया कि इससे तुम्हारी ही नहीं तुम्हारे पिता की भी बदनामी होगी।

ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे पूरा परिवार जीवन भर शर्मिंदा हो।

अनेक प्रकार के आश्वासन देकर वह मनीषा को अपने घर वापस लौटने के लिए मजबूर करता रहा।

सेठ को मनीषा के भागने की सूचना मिल गई थी , इसलिए वह अपने साथियों और हथियार के साथ दिनेश की हत्या करने के लिए स्टेशन पहुंच चुका था। किंतु दिनेश और मनीषा की बातों को सुनकर उसके हृदय में परिवर्तन आया। वह अभी तक जिस दिनेश को अपराधी मान रहा था , वह अब निर्दोष और बेगुनाह व्यक्ति के रूप में सामने था।

सेठ संजय ने दिनेश से माफी मांगी और हृदय से लगा लिया।

दोनों एक दूसरे को गले लगा कर रो रहे थे।

मनीषा भी अपने पिता के दूसरे कंधे पर अपना माथा रखकर रोने लगी।

सेठ संजय ने दोनों को आशीर्वाद दिया और शुभ लग्न मुहूर्त देखकर दोनों का विवाह कर दिया।

दिनेश अब मनीषा के साथ खुशी का जीवन व्यतीत करने लगा।

वह किसी भी प्रकार की खुशियों को मनीषा से दूर नहीं रखता था।

दोनों परिवार अब एक हो चुके थे किसी भी अवसर पर दोनों मिलकर सामूहिक रूप से त्यौहार तथा किसी भी कार्यक्रम को मनाते थे अब सभी का हृदय साफ था ।

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