पुनरुक्ति अलंकार का साधारण सा अर्थ है जहां बार-बार शब्दों की आवृत्ति हो। इस लेख में आप पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा, पहचान और उदाहरण का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे।
यह विद्यार्थियों के कठिनाई के स्तर को पहचान करते हुए लिखा गया है। इस लेख का अध्ययन विद्यालय , विश्वविद्यालय तथा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए किया जा सकता है। विशेषकर छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए हमने विद्यालय स्तर से प्रतियोगी परीक्षा तक के सफर को आसान बनाने का प्रयत्न किया है।
पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा
परिभाषा : पुनरुक्ति दो शब्दों के योग से बना है पुन्र+उक्ति , अतः वह उक्ति जो बार-बार प्रकट हो। जिस वाक्य में शब्दों की पुनरावृति होती है वहां पुनरुक्ति अलंकार माना जाता है। जिस काव्य में क्रमशः शब्दों की आवृत्ति एक समान होती है , किंतु अर्थ की भिन्नता नहीं होती वहां पुनरुक्ति अलंकार माना जाता है।
(ध्यान दें यमक अलंकार में शब्दों के अर्थ भिन्न होते हैं , जबकि इस अलंकार के अंतर्गत अर्थ एक समान रहता है , केवल शब्दों की वृद्धि होती है)
जैसे –
मधुर वचन कहि-कहि परितोषीं।
उपर्युक्त पंक्ति में कहि शब्द का एक से अधिक बार प्रयोग हुआ है इसके कारण काव्य में सुंदरी की वृद्धि हुई है अतः यहां पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार माना जाएगा।
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पुनरुक्ति अलंकार के उदाहरण (punrukti alankar ke udaharan)
- लिखन बैठि जाकी सबी , गहि-गहि गरब गरूर।
- आदरु दै-दै बोलियत , बयासु बलि की बेर
- झूम झूम मृदु गरज गरज घनघोर।
- डाल-डाल अली-पिक के गायन का समां बंधा।
- सूरज है जग का बुझा-बुझा
- खड़-खड़ करताल बजा।
- जी में उठती रह-रह हूक।
- खा-खाकर कुछ पायेगा नहीं।
- मीठा-मीठा रस टपकता।
- थल-थल में बसता है शिव ही।
- रंग-रंग के फूलों पर सुन्दर।
- सुबह-सुबह बच्चे काम पर जा रहे है।
- लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों की गरिमा।
- मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया।
- उड़-उड़ वृंतो से वृंतो परे।
- अब इन जोग संदेसनि सुनि-सुनि।
- हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म
- पुनि-पुनि मोहि देखाब कुठारु।
- बहुत छोटे-छोटे बच्चे।
- ललित-ललित काले घुंघराले।
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पुनरुक्ति अलंकार निष्कर्ष –
उपरोक्त अध्ययन के उपरांत स्पष्ट होता है कि जहां एक से अधिक बार शब्दों का प्रयोग होता है , किंतु वहां अर्थ की भिन्नता नहीं होती है। अर्थात पंक्ति में एक ही शब्द क्रमशः आते हैं , किंतु अर्थ सामान्य होते हैं वहां पुनरुक्ति अलंकार माना जाता है।
जैसा कि यमक अलंकार में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आता है। किंतु वहां पर अर्थ की भिन्नता होती है , जबकि पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार में ऐसा नहीं है।
आशा है आपको यह लेख समझ आया हो , इसके अध्ययन से आपके ज्ञान की वृद्धि हुई होगी।
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पुनरुक्ति अलंकार की संपूर्ण जानकारी देने के लिए मैं आपका धन्यवाद करना चाहूंगी और साथ में एक सलाह देना चाहूंगी कि आप अपने वेबसाइट पर इमेज का प्रयोग भी जरूर करिए ताकि पढ़ने में और समझने में आसानी हो.
या अनुराग चित की, गति समुझै नहिं कोइ । ज्यौं ज्यौं बूड़ै सरयाम रंग ,त्यौं त्यौं उज्जलु होइ । इसमें पुनरुकि प्रकाश अलंकार क्यो नही है
पुनरुक्ति अलंकार वैसे तो बहुत आसान है परंतु इसके उदाहरण मुझे पता नहीं थे, आपका धन्यवाद कि आपने इतने अच्छे और आसान उदाहरण यहां पर लिखें।