आत्मकथ्य कविता sanchipt parichay jaishankar prasad

जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित आत्मकथ्य कविता उनके जीवन के उन क्षणों की स्मृति है। जिसमें उन्होंने केवल दुख को प्राप्त किया। उनके हाथों से खुशियां दिन प्रतिदिन कैसे निकलती रही। वह किस प्रकार अपने जीवन में विवश रहे अपने जीवन की आत्मकथा ना लिखकर उन्होंने प्रेमचंद के आग्रह पर आत्मकथ्य कविता लिखा। इस लेख में …

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