संपादन का अर्थ और परिभाषा | cbse notes | sampadan ka arth

संपादन का अर्थ और परिभाषा इस पोस्ट में आपको समझाया गया है | important notes for cbse students – sampadan ka arth इस लेख को पढ़ने के बाद आप संपादन के संदर्भ में जानकारी हासिल करेंगे यह लेख विद्यालय विश्वविद्यालय स्तर के विद्यार्थियों के लिए कारगर है इस लेख के माध्यम से आप संपादन के मूलभूत सिद्धांतों का भी अध्ययन करेंगे जिसके आधार पर संपादन कार्य संपन्न होता है।

संपादन का क्या अर्थ है? इसके किन्ही तीन सिद्धांतों पर

प्रकाश डालिए। 

किसी घटना वृत्तांत आदि को संग्रहित करके उसकी अशुद्धियों को निकाल कर पाठकों तक संप्रेषण करना संपादन कहलाता है। इसके तीन सिद्धांत निम्नलिखित है-

निष्पक्षता- कोई भी संपादक को घटना का शुद्ध रूप पाठकों का तक तभी पहुंचा सकता है, जब संपादन शुद्ध रूप से हो। उस घटना में  किसी व्यक्ति का, अथवा किसी संस्था का हस्तक्षेप ना हो।

तथ्यों की शुद्धता-  संपादन के लिए यह दूसरी आवश्यक सामग्री है। किसी भी घटना को शुद्ध रूप से व्यक्त किया जाए। उसमें अपने विचार, अपने मत, तथ्य उस घटना में कुछ तोड़-जोड़ कर पेश नहीं किया जाना चाहिए। अन्यथा यह संपादन का शुद्ध रूप नहीं रह जाता।

संतुलन स्रोत – संपादन के लिए यह अति महत्वपूर्ण तथ्य है कि, किसी भी घटना को संप्रेषित करने से पूर्व उस घटना में संतुलन रखा जाना चाहिए। क्योंकि कई बार उस घटना से हिंसक विचार पाठक तक पहुंच जाता है, जिससे पाठक का मन विचलित व खिन्न हो जाता है। इसलिए यह अति आवश्यक है की शब्दों का चयन व उसके द्वारा पड़ने वाला प्रभाव, सम्प्रेषित कर रहे व्यक्ति के मस्तिष्क में अवश्य हो।

संपादक किसी भी पत्र-पत्रिका या पुस्तक में भाषा, भाव या उसकी सामग्री में संशोधन कर पाठक के ज्ञान और रुचि को बढ़ाने योग्य बनाता है। इसे क्रम में लेख की सफलता निहित होती है। जब तक पाठक में रुचि जागृत नहीं होती तब तक किसी साहित्य की सफलता संभव नहीं है क्योंकि साहित्य का अंतिम लक्ष्य पाठकों की संतुष्टि है।

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निष्कर्ष-

उपरोक्त अध्ययन से कहा जा सकता है कि संपादन का कार्य थोड़ा कठिन हो जाता है क्योंकि संपादन कार्य करते हुए निष्पक्ष, तथ्यों की शुद्धता, तथा संतुलन स्रोत आदि पर कार्य करना पड़ता है। किसी घटना को लिखने के क्रम में कई ऐसे दबाव या पक्षपात करने का अवसर आता है, जब संपादन कार्य पर असर पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में संपादक स्वयं को संतुलित रख कर कार्य करता है।

आशा है उपरोक्त लेख आपको पसंद आया हो, आपके ज्ञान की वृद्धि हो सकी हो। अपने सुझाव तथा विचार कमेंट बॉक्स में लिखें ताकि हम लेख को और अधिक सुधार कर सकें।

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3 thoughts on “संपादन का अर्थ और परिभाषा | cbse notes | sampadan ka arth”

  1. संपादन का अर्थ एवं उसकी परिभाषा का जो आपने विश्लेषण किया है वह काफी प्रशंसनीय है मैं आपकी वेबसाइट पर आता रहता हूं और मुझे हमेशा यहां पर कुछ ना कुछ जानकारी से भरा आर्टिकल मिलता है

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  2. संपादन विषय पर आपने जानकारी अच्छी दी है परन्तु पीडीएफ भी उपलब्ध करा देते तो अच्छा रहता

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