Moral hindi stories for class 4, 5 and 6 students in short

आज हम कहानी लिखने जा रहे है कक्षा चौथी के बच्चों के लिए | ये कहानियां कक्षा चार व अन्य छात्रों के अनुसार उचित शब्दों में लिखी गयी है | We are writing hindi stories for class 4, 5 and 6 students with moral values.

 

Short moral hindi stories for class 4, 5 and 6 students

This hindi stories with moral values will surely help these students to perform more better in life.

सबसे बड़ा बल बुद्धिबल

( Hindi stories with moral values for class 4 )

एक जंगल में  भासूरक  नामक शेर रहता था। वह प्रतिदिन भोजन के लिए पशुओं को मारा करता था। एक दिन जंगल में सभी जानवरों ने मिलकर शेर से निवेदन किया कि , उसे रोज एक पशु भोजन के लिए मिल जाया करेगा , इसलिए वह अनेक पशुओं का शिकार ना करा करे।  शेर यह बात मान गया। उस दिन के बाद शेर को घर बैठे एक पशु मिलने लगा। शेर ने यह धमकी दे दी थी कि , जिस दिन उसे कोई पशु नहीं मिलेगा उस दिन वह फिर अपने शिकार पर निकल जाएगा और मनमाने पशुओं की हत्या कर देगा। इस डर से भी सब पशु बारी-बारी एक – एक पशु को शेर के पास भेजते रहते थे।

इसी क्रम में एक दिन खरगोश की बारी आ गई। खरगोश शेर की मांद की ओर चल पड़ा। मौत की घड़ियों को कुछ देर और टालने के लिए वह जंगल में इधर – उधर भटकता रहा। एक स्थान पर उसे एक कुआं दिखाई दिया। कुएं में झांक कर देखा तो उसे अपनी परछाई दिखाई दी। उसे देखकर उसके मन में एक उपाय सूझा। यह उपाय सोचता – सोचता बहादुर अब शेर के पास पहुंचा। शेर उस समय तक भूखा प्यासा होट चाटता बैठा था। खरगोश को देखकर शेर ने क्रोध से लाल – लाल आंखें करते हुए गरजकर कहा !

नीच खरगोश एक तो तू इतना छोटा सा है और फिर इतनी देर लगा कर आया ?

खरगोश ने यहाँ बदल दी खेल पढ़ें आगे

खरगोश ने विनय से सिर झुकाकर उत्तर दिया स्वामी ! आप व्यर्थ क्रोध करते हैं कुछ भी फैसला करने से पहले देरी का कारण तो सुन लीजिए , फिर क्या बात है ? जल्दी बता खरगोश स्वामी बात यह है कि सभी पशुओं ने आज यह सोच कर , कि मैं बहुत छोटा हूं , मेरे साथ चार अन्य खरगोश को आपके भोजन के लिए भेजा था। हम पांचों आपके पास आ रहे थे कि , मार्ग में एक दूसरा शेर अपनी गुफा से निकल कर आया और बोला अरे ! किधर जा रहे हो तुम सब। मैंने उससे कहा हम सब राजा भासूरक शेर का भोजन है।

तब वह बोला भासूरक कौन होता है ?

यह जंगल तो मेरा है। मैं ही तुम्हारा राजा हूं , तुम मे से चार खरगोश यहीं रह जाए।

एक खरगोश भसुरक  के पास जाकर उसे बुला लाए। मैं उससे स्वयं निपट लूंगा।

इसलिए मुझे देर हो गई यह सुनकर भसुरक  क्रोध में बोला ऐसा है तो जल्दी से मुझे उस दूसरे शेर के पास ले चलो , अब तो मैं उसका रक्त पीकर ही अपनी भूख मिटा लूंगा। मेरे जंगल में कोई दूसरा राजा नहीं हो सकता। अब तो खरगोश मन ही मन खुश होकर शेर को कुएं के पास ले गया और बोला स्वामी ! आपको दूर से ही देख कर वह अपने दुर्ग में घुस गया है।भासूरक छोडूंगा नहीं मैं उसे , दुर्ग में ही घुस कर मारूंगा।

We are also writing moral values after every hindi stories for class 4 students.

खरगोश शेर को कुएं की मेढ़ पर ले गया भासूरक ने झुककर कुएं में अपनी परछाई देखी तो समझा कि , यह शेर दूसरा है। तब वह जोर से गरजा  उसके गरजने  से कुएं में दुगनी गूंजे पैदा  हुई। उस गूंज को दुश्मन शेर की ललकार समझकर भासूरक उसी क्षण कुएं में कूद पड़ा , और वहीं पानी में डूबकर प्राण दे दिए।

खरगोश ने अपनी बुद्धि से शेर को हरा दिया।  वहां से लौटकर वह पशुओं की सभा में गया। उसकी चतुराई सुन कर और शेर की मौत का समाचार सुनकर सब जानवर खुशी से नाच उठे।

शिक्षा   – बली वही है जिसके पास बुद्धि का बल है।

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Moral of this story for class 4 students

The one who uses their brains will always be more powerful in any circumstances. So always try to solve any problem in any situation through your wit.

Language of moral values written here is simple because these are hindi stories for class 4 , 5 and 6 students.

Next story below image –

Hindi stories for class 4
Hindi stories for class 4

 

सत्य के प्रति दृढ़ता कहानी

( Short Moral value hindi stories for class 5  )

परीक्षाफल सुनाने प्रचार्य खड़े हुए। सभी विद्यार्थीयों के नाम पढ़े जाने के बाद एक शिक्षार्थी खड़ा हुआ और बोला ‘ मेरा नाम नहीं बोला गया’। अनुशासनप्रिय प्रचार्य ने कहा – ‘तुम अनुत्तीर्ण होगे।’ उस वर्ष वह बालक बहुत लम्बे समय तक मलेरिया ज्वर से पीड़ित रहा था। किन्तु अपनी सफलता पर उसे इतना विश्वास था की वह बोल पड़ा – ‘नहीं ऐसा नहीं हो सकता। ‘ ऐसा  ही है प्रचार्य ने दृढ़तापूर्वक कहा।’

‘नहीं ऐसा नहीं हो सकता। ‘

‘मैं कहता हूँ बैठ जाओ और कुछ भी बोले तो जुर्माना होगा। ‘

‘मैं उत्तीर्ण हूँ इसमें संदेह नहीं। ‘ बालक बोला।

‘ पांच रूपये जुर्माना। ‘

‘कुछ भी हो मैं उत्तीर्ण हूँ । ‘

‘ दस रूपये। ‘

बालक बोलत रहा और प्रचार्य ५-५ रूपये बढ़ते गए।  नीलामी की बोली जैसा दंड बढ़ता हुआ 50 रूपया के लगभग हो गया।  गुरु शिष्य के अनुसासन और आत्मविश्वास दोनों में होड़ लगी थी।

तभी लिपिक दौड़ता हुआ प्रचार्य के पास आया और बालक को संकेत संकेत से समझा दिया।  बालक बैठ गया। बाद में पता चला कि बालक ने सर्वोच्च अंक पाए थे।  यह बालक था राजेंद्र जो आगे चलकर भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने।

Moral of this story for class 5 students –

Be honest and humble in whatever situation comes in your life. Be strong and be courageous while you choose this path, one day you will get glory for sure.

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समाज सेवा

( Hindi stories for class 6 students )

ठाकुरदास अपनी पत्नी और इकलौते बच्चे को छोड़ कर इस संसार से चल बसा। पत्नी के कंधे पर, सारे परिवार का दायित्त्व आ गया।  इसी प्रकार दिन कटते रहे ,और वर्ष बीतते गए। एक दिन बेटा रात के समय बैठा , माँ के पैर दबा रहा था , और बातें भी कर रहा था -“माँ बड़ा होकर , मैं पढ़ -लिखकर , विद्वान बनूँगा ,और तुम्हार बहुत सेवा करूँगा। ”

” कैसी सेवा करेगा तू मेरी ?” माँ ने पूछा।

” बड़े कष्ट सहन कर तुम मुझे पढ़ा रही हो  माँ , में कमाने लगूंगा न जब , तब तुम्हे अच्छा – अच्छा खाना खिलाऊंगा , और हाँ  तुम्हारे लिए गहने भी लाऊंगा। ”

” हाँ बेटा ,तू अवश्य सेवा करेगा मेरी। ‘ माँ बोली ” पर गहने मेरी पसंद के ही बनवाना। ”

” कौन से गहने माँ “?

” बेटा ,सुन मुझे तीन गहनों की चाह है।  मैं चाहती हु – गांव  में अच्छा विद्यालय हो ,चिकित्सालय हो, और  निर्धन – असहाय बालकों को खाने -पिने तथा पहनने की सुविधा हो। ”

बालक जो ठानता है उसे पूरा करता है।

बालक ने जब यह सुना तो वह भाव – विभोर हो उठा।  धन्य है यह माँ जिसके इतने अचे विचार है। उस दिन से अपनी माँ के लिए , इन तीन गहनों को बनवाने की धुन में ,उसने अथक  परिश्रम किया। पढाई समाप्त कर वह उच्च पद पर आसीन हुआ। माँ को दिए वचन को उसने निभाया।  वह बराबर विद्यालय ,औषधालय , तथा सहायता केंद्र खोलता चला गया।  अपने पुत्र द्वारा दिए गए तीन आभूषणों से , माँ गौरवान्वित हो गयी। यह महामानव और कोई नहीं , ईश्वर चंद विद्यासागर थे।

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24 thoughts on “Moral hindi stories for class 4, 5 and 6 students in short”

    • Thanks, Ashwini.
      We are glad to hear this from you.
      You can also read other Hindi stories articles too.

      Reply
    • मुझे भी यह कहानी अच्छी लगी और हेल्पफुल भी हे मेने सारी स्टोरी को कई बार पढ़ ली Me to really it’s very helpful I like these stories

      Reply
  1. आपकी वेबसाइट बहुत अच्छी है और आप जो कहानियां लिखते हैं वह भी बहुत अच्छी होती है.
    अगर आप यहां पर और कहानियां जुड़ेंगे तो हम पाठकों के लिए अच्छी बात होगी.

    Reply
    • आकाश जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद इतने अच्छे शब्दों के लिए

      Reply
  2. Very nice collection of stories for kids. I used them in my school project.
    Thank you for writing such a great article.

    Reply
  3. बहुत अच्छी कहानियां है बच्चों के लिए. ऐसे ही आगे भी और लिखते रहिए

    Reply
    • हमें यह जानकर अच्छा लगा. आपसे अनुरोध है कि आप अपने सहपाठियों अथवा अपने परिवार के लोगों के साथ इस लेख को अवश्य शेयर करें ताकि हमारी समग्री सब तक पहुंचे.

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  4. I love the you have written and expressed these Hindi stories here. I am a big fan of your website now.

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    • यह सभी कहानियां बच्चों के लिए बहुत अच्छी है और मुझे लगता है कि हर विद्यालय में इन कहानियों को पढ़ाना चाहिए

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  5. आपकी भाषा परिष्कृत नहीं है । अनुत्तीर्ण के स्थान पर अनुत्तरिर्ण लिखा है, हूं के स्थान पर हु‌ लिखा है, मैं के स्थान पर में लिखा है, तुम्हारी के स्थान पर तुम्हार लिखा है।
    इन कहानियों को पढ़कर बच्चों की हिंदी स्पेलिंग्स दोषपूर्ण हो जाएंगी।
    कृपया सुधार करें।

    Reply
    • गलतियों का बताने के लिए धन्यवाद। आपके द्वारा प्राप्त संकेत को किर्यान्वित किया गया और व्याकरण की दृष्टि से सुधार कर लिया गया। आप जैसे पाठक हमारी गलतियों को बताएं तो हमे हर्ष का अनुभव होता है। प्रकाशित करने के दौरान कुछ अशुद्धियाँ होना मानवीय भूल मनाकर आप हमें सूचित करते रहें।

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  6. जी हां आपने बिलकुल सही कहा है ‍‍‍‍।
    मैं भी यही कहना चाहूंगा।
    धन्यवाद।।

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  7. Namaste sir, kya kuch kahaniyaan saral, rochak hone ke saath khel ki duniya ke khiladiyon par ya pir kuch mukhye aavishkarakon par ho sakti hai, yadi saral roop main 4th 5th std main kahani kahi jaye tau ham aage ke liye bachhon ko taiyar kar sakte hain. Danywad.

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