Jitiya vrat katha in hindi – जितिया व्रत कथा हिंदी में

Today we are going to read Jitiya Vrat Katha Hindi story. This story is famous among mothers who do fast for the sake of the protection of their children.

जितिया व्रत कथा – Jitiya vrat katha in Hindi

यह कहानी जितिया व्रत जो उत्तर भारत में महिलाएं बच्चों के लिए व्रत करती हैं उसका अंश है। 

चूलिया और सियरिया दो बहने थी। चूलिया बेहद गरीब थी , मेहनत – मजदूरी करके अपने बच्चों का पालन – पोषण करती थी। वहीं सियरिया गलत आचरण वाली महिला थी। सियरिया ऐश – मौज करती थी और चूलिया से हमेशा जला करती थी। सियरिया यह सोचते रहती कि वह इतना खुश कैसे रह पाती है। चूलिया की हंसी – खुशी सियरिया सहन नहीं कर पाती थी , जिसके कारण उसे सताने का अनेको अनेक प्रयास किया करती थी।  यहां तक की कई बार चूलिया के बच्चों को मारने की कोशिश भी कर चुकी थी किंतु चूलिया के व्रत और तपस्या के कारण उसका बच्चा सदैव सुरक्षित बच जाया करते थे।

एक  दिन की बात है कि  सियरिया ,चूलिया के बच्चों को लेकर लकड़ी चुने जंगल जाती है। वहां लकड़ी चुनते – चुनते जब बच्चे थक जाते हैं तो बच्चों को वहीं कुछ देर विश्राम करने को कहती है। बच्चे जब सो जाते हैं तो सियरीया उन बच्चों का सिर काट कर एक टोकरी में रखकर वापस घर आ जाती है , और चूलिया को वह भेंट करती है। कहती है दीदी जंगल से नारियल लाई हूं , बच्चों को खिला देना।चूलिया उस टोकरी को उठाकर नहीं देखती वह एक किनारे रखकर चली जाती है।

चूलिया अपने बच्चों के आने की प्रतीक्षा करती रहती है। शाम से रात हो जाती है , किंतु बच्चे वापस नहीं आते , इसके कारण चूलिया बेहद परेशान हो जाती है।  पहर  दो-पहर , चार-पहर बीतने के बाद भी जब बच्चे घर नहीं आते तो एक माँ की दिल की पीड़ा चीख -पुकार और रोने में तब्दील हो जाती है। सारा गांव गहन निंद्रा में सो रहा है , किंतु चूलिया बड़े ही करुण स्वर में जोर – जोर से रो रही थी।

उस दिन शंकर – पार्वती पृथ्वी पर भ्रमण के लिए निकले थे।

इस करुण स्वर को सुनकर पार्वती से रहा नहीं गया , उन्होंने महादेव से कहा हे प्रभु ! कोई दुखियारी रो रही है , और उसके रोने में एक करुण स्वर छुपा है , मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है चल कर देखना चाहिए। महादेव ने कहा हे पार्वती ! यह मृत्यु लोक है , यहां यह सब साधारण सी बात है ,  यहां सब मोह – माया लगा रहता है , किंतु पार्वती हठ पर रहती है और महादेव को पार्वती के हठ के सामने झुकते हैं और चूलिया के पास पहुँच उसके पीड़ा का कारण जानते है ।

चूलिया से उसके रोने का कारण पूछा तो ,चूलिया ने पूरी घटना को विस्तार से बता दिया , अभी तक मेरे बच्चे घर नहीं लौट कर आए हैं। शंकर जी ने ध्यान लगाया तो उन्होंने चूलिया के बच्चों को जंगल में मृत्यु के सैय्या पर लेटा हुआ पाया। शंकर जी ने पार्वती जी के अनुरोध पर उन बच्चों को पुनः जीवित करके चूलिया के ममता की रक्षा की।

बच्चे नींद से उठे उन्होंने वहां मौसी को ढूंढा , किंतु मौसी वहां नहीं थी। बच्चे घबराते हुए घर आए और मौसी के  सारे घटनाक्रम को मां के सामने व्यक्त किया।चूलिया उसी समय जाकर सियारिया से लड़ने लगी। क्यों री  चूलिया तुम मेरे बच्चे को जंगल क्यों ले गई और इस प्रकार बच्चों को अकेला छोड़ आई। अब दोनों बहनों में लड़ाई शुरू हो गई यह लड़ाई सात दिन सात रात तक चलती रही , किंतु लड़ाई का कोई हल नहीं निकला।

गांव वालों ने जंगल में तपस्वी (महात्मा) के पास इसका निर्णय करने के लिए भेजा।

दोनों उस तपस्वी के पास पहुंचे तपस्वी ने दोनों की घटना को सुना और आदेश दिया कि तुम दोनों पास खेल रहे बच्चों के बाल को पकड़कर घसीटते  मेरे पास जल्दी लेकर आओ , मैं इसका निर्णय करूंगा !

चूलिया एक माँ थी वह बच्चे की पीड़ा जानती थी ,  उसने महात्मा के वचनों का पालन नहीं किया। वहीं सियारिया दौड़ती हुई जाती है और खेलते हुए बच्चे का बाल खींच कर ले आती है। इस पर तपस्वी ने सियरिया को श्राप दिया कि तू इसी प्रकार जलती रहेगी और सदैव दुख भोगती रहेगी। जो महिला एक बच्चे की पीड़ा और एक मां की ममता को नहीं जानती , वह इस पृथ्वी पर दुख भोगने के अलावा कुछ नहीं कर सकती।

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4 thoughts on “Jitiya vrat katha in hindi – जितिया व्रत कथा हिंदी में”

  1. जितिया व्रत कथा इतने अच्छे तरीके से लिखने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। कृपया इसे इमेज तथा पीडीएफ के रूप में भी जरूर प्रस्तुत करें

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