Sikandar ki kahani hindi mai powerful story

आज हम सिकंदर की कहानी लिख रहे हे, यहा सिकंदर के भारत आगमन के समय का दृश्य प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। सिकंदर ने किस प्रकार विश्व विजय करने का सपना देखा था। उसका वह स्वप्न भारत आकर पूर्ण ना हो सका। निश्चित रूप से सिकंदर महान योद्धा था उसके कुशल युद्ध नीति में उसे लगभग विश्व विजेता बना दिया था।Sikandar is one of the powerful ruler at ancient times. When sikandar came to India after defeating whole world. He came across a situation which is conveyed below as a story.

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सिकंदर इतिहास के पन्नों में एक आक्रांता के रूप में दर्ज है, जिसने विश्व विजय के लिए, धन संपदा के लिए, निरीह और साधारण व्यक्तियों का कत्लेआम किया। सिकंदर जहां-जहां जाता, वहां-वहां उसकी सेना लूट-पाट करती। वहां की धर्म, संस्कृति को तहस-नहस करती, बुजुर्गों, बाल-बच्चों का कत्लेआम और स्त्रियों का बलात्कार करना इसका परिचय हो गया था।सिकंदर अपने मकसद में निरंतर एक के बाद एक सफल होता जा रहा था, कोई उसके सामने युद्ध करने को खड़ा नहीं हो पा रहा था।जिसके कारण उसका मनोबल निरंतर बढ़ता जा रहा था।सिकंदर ने भारत के बारे में काफी अधिक विशेषता सुनी हुई थी, उसने भारत विजय का अभियान बनाया और भारत की ओर सेना सहित कुच किया।

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सिकंदर को तनिक भी आभास नहीं था कि यह मिशन उसके विश्व विजय के मार्ग में बाधा साबित होगी।वह जैसे ही भारत के सीमा पर पहुंचा वहां उसे एक तपस्वी दिखाई दिया , जो पेड़ के नीचे लेटा विश्राम कर रहा था।सिकंदर की सेना आती देख तपस्वी तनिक भी विचलित नहीं  हुआ।

सिकंदर को आश्चर्य हुआ उसने तपस्वी के पास जाकर पूछा –

तुम्हें तनिक भी भय नहीं लगा ?

हमारी इतनी बड़ी सेना तुम्हारे पास से गुजर गई।

तपस्वी ने कहा- ‘डर किस बात का?

Just a question for you. What do you think about sikandar ? Tell us in comment section below the post.

डर तो डर तो सेठ-साहूकारों को लगता है,  चोरों को लगता है।

ना मैं चोर हूं और ना सेठ-साहूकार तो किस बात का डर?

सिकंदर से तपस्वी ने सवाल किया तुम इतनी सेना लेकर कहां जा रहे हो ?

सिकंदर ने जवाब दिया मैं विश्व का विजय करने जा रहा हूं ढेर सारी धन-संपत्ति का स्वामी हूं और अधिक संपत्ति जमा करना चाहता हूं।जिससे मैं पूरा जीवन निर्भीक होकर ऐश आराम से जी सकूं।

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तपस्वी ने उन्हें जवाब दिया तुम इतने लोगों का वध करके धन-संपत्ति एकत्रित कर रहे हो, सुख से जीवन जीने के लिए।किंतु मेरे पास ना ही धन संपत्ति है और ना मैं किसी का वध कर रहा हूं, फिर भी मैं सुख से अपना जीवन व्यतीत कर रहा हूं।इतना कहते हुए तपस्वी पुनः करवट बदलकर विश्राम करने लगा।सिकंदर का प्रथम परिचय भारत से तपस्वी के रूप में हुआ।

सिकंदर तपस्वी की बातें सुनकर आश्चर्यचकित रह गया , उसके पास कुछ और सवाल – जवाब करने के लिए शब्द नहीं थे।वह तुरंत अपनी सेना के साथ आगे बढ़ गया।कुछ समय बाद चाणक्य की बुद्धि योजना और चंद्रगुप्त के शौर्य बल से सिकंदर पराजित हुआ।इसके बाद वह कहीं और युद्ध करने का सामर्थ्य नहीं जुटा पाया।

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निष्कर्ष

उपरोक्त कहानियों के माध्यम से स्पष्ट होता है कि सिकंदर निश्चित रूप से महान था, उसकी विशाल सेना किसी भी देश कि सेना पर विजय प्राप्त कर सकती थी। उसने विश्व के अधिकांश देशों पर अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था। विश्व विजेता की लालसा में वह भारत की ओर मुड़ा यहां उसने जन-जन में निर्भीकता का भाव देखा। इसके उपरांत उसे मगध का शक्तिशाली साम्राज्य और चाणक्य जैसे कूटनीतिज्ञ का सामना करना पड़ा जिसके आगे वह हार मान कर विश्व विजेता का सपना अधूरा अपने मन में संजोए वापस अपने देश लौट गया।

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