Makar Sankranti Quotes in Hindi ( मकर संक्रांति की शुभकामनाएं )

हिंदू संस्कृति में त्योहारों का विशेष महत्त्व है। आदिकाल से ही मनुष्य प्रकृति से जुड़ा हुआ है, उसकी पूजा करता है, संक्रांति भी उसी पूजा का एक अंग है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर प्रवेश करता है। यह प्रकाश का प्रतीक है, इस दिन के बाद दिन का समय बढ़ता जाता है रात्रि या अंधकार का समय कम होता जाता है।

व्यक्ति सदैव प्रकाश की ओर बढ़ता जाता है यह उसका स्वभाव भी है इसलिए यह त्यौहार विशेष बन जाता है पूरे भारतवर्ष में विभिन्न नामों से समय-समय पर इस त्यौहार को मनाया जाता है प्रस्तुत लेख में मकर संक्रांति पर सुविचार अनमोल वचन शुभकामना संदेश प्राप्त करेंगे।

Makar Sankranti Quotes in Hindi

1.

जीवन में आगे बढ़ने का संदेश देता यह पर्व

मनुष्य को तरक्की और प्रगति मिले

ऐसी शुभकामनाओं के साथ

मकर संक्रांति की ढेर सारी बधाइयां।।

2.

चूड़ा दही का स्वाद निराला

खाए वही जो हो दिलवाला

गुण से भरपूर हर निवाला

जीवन में भर जाए उजाला।

3.

तिल गुड खाने का दिन है आया

भोर उठ कर सबने नहाया

सूर्य देव का दर्शन तब पाया

सबका दिल खुशियों से हर्षाया।

4.

सनातन धर्म का यह पर्व निराला

जग को देता खुशियों का संदेश

सब त्यौहार मनाते देश रहे या विदेश।।

5.

गुड़ की मिठास तिल का स्वाद

आओ खुशियों से मनाएं

संक्रांति का यह पावन त्यौहार।।

6.

मीठे मीठे गुड में मिल गया है तिल

जिसको खाकर सबका खिल गया है दिल

क्या बच्चे और क्या और बूढ़े

सबने खोल लिया है दिल।।

7.

खुशियों भरी बहार है, उड़ रही पतंग बेशुमार है

गुड़ तिल की बहार है, दिलों पर खुशियां सवार है।।

8.

दान देकर पुण्य कमाना

इससे अच्छा अवसर और नहीं

मकर संक्रांति पर आप भी दान दें

और अपने आगामी जीवन को सुखद बनाएं

मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं।

9.

सूर्य देव का यह पर्व महान

जो कोई मनाए मिले ज्ञान

इस पर्व सा ना कोई समान

आओ बढ़ाएं इसका मान।।

Makar sankranti Quotes and wishes

10.

तिलकुट के प्रसाद से

अपने मस्तिष्क को पोषक आहार दें

अपने जीवन को एक नए विचार दें

यही विचार अपने समाज को दान दे।

11.

विश्वास रखें सूर्य देव की उर्जा में

जो आप में अनोखी शक्ति भर देगी

जिससे आप अपने समस्त

इच्छाओं की पूर्ति कर सकेंगे।

मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं

12.

मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर

आपका शरीर

एक ऐसी दिव्य शक्ति को प्राप्त करें

जिससे आपके जीवन में

एक सकारात्मक विचार उत्पन्न हो।

संक्रांति पर्व की अनेकों अनेक बधाइयां।

13.

संक्रांति का यह पर्व

जो जिस उद्देश्य से मनाता है

उसको वैसा ही फल प्राप्त होता है।

14.

चिकित्सक भी हो जाते हैरान

गुड और तिल है वरदान

मकर संक्रांति की बधाई।

15.

सामंजस्य और शांति से पर्व मनाओ

जीवन में अनेकों खुशियां पाओ।।

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मकर संक्रांति पर वैज्ञानिक मान्यता

वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है कि संक्रांति के अवसर पर सेवन किया गया गुड और तिल मनुष्य के लिए औषधि का कार्य करता है। यह उसके मांसपेशियों को मजबूत करने तथा लंबी आयु प्रदान करने में कारगर है। इतना ही नहीं मनुष्य के शरीर में समय-समय पर विभिन्न प्रकार के विकार आते रहते हैं, जिन्हें दूर करने का यह सबसे अच्छा अवसर होता है।

खिचड़ी जिन्हें विशेष प्रकार से बनाया जाता है, वह पेट के पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है यह व्यंजन सुपाच्य भी होता है।

मकर संक्रांति और कौवे की पौराणिक मान्यता

उत्तराखंड के राज्यों में मकर संक्रांति को उत्तरैणी या घुघुतिया नाम से भी जाना जाता है। इस त्यौहार को इन्हीं नामों से वहां मनाया जाता है, इसके मनाने के पीछे भी कई पौराणिक मान्यता और कथा भी प्रसिद्ध है। उत्तराखंड के लोग इस दिन घर में पुए-पकवान बनाते हैं, विशेष रूप से आटे और गुड़ को गूंध कर उन्हें सांचे तथा कई प्रकार के कलाकृतियों में तैयार किया जाता है।

इन पकवान को एक माला में गूथ कर तैयार किया जाता है अगले दिन घुघुतिया/मकर संक्रांति के दिन सुबह-सुबह अपने बच्चों को नहला धुला कर उनकी पूजा कर उनके गले में वह माला पहना दी जाती है। इस माला को पहनाने के पीछे उनका पौराणिक कथा प्रचलित है।

कुमाऊं मैं पहले राजवंश स्थापित था राजा वहां के क्षेत्रों पर राज किया करते थे। इसी क्रम में चंद्र शासन के दौरान राजा कल्याण चंद की कहानी सुनने को मिलती है। राजा कल्याण चंद की कोई संतान नहीं थी उन्होंने भगवान की तपस्या और प्रसन्नता के बाद एक पुत्र प्राप्त किया जिसका नाम निर्भय चंद रखा गया मां अपने पुत्र निर्भय को घुघुती कहकर पुकारती थी।

घुघुती को माला का शौक था मां उसके गले में पकवान की माला लगा देती थी और उसे ‘काले कौवा काले, घुघूती की माला खाले’ कहकर पुकारती थी।

इसी क्रम में घुघूती को कौवे से लगाव हो गया, वह अपने पकवान कव्वे को खिलाता था जिससे घुघुती और कौवे के बीच मित्रता हो गई।

उस राज्य का मंत्री राजा के राजपाट को हड़पना चाहता था। इसी उद्देश्य से उसने घुघूती का अपहरण कर लिया। किंतु कौवा मोती की माला लेकर वहां पहुंच गया जहां घुघुती को बंधक बनाया हुआ था। सैनिक कौवा का पीछा करते हुए वहां पहुंचे और मंत्री को गिरफ्तार कर मृत्युदंड दिया।

जिस कारण बालक की रक्षा हो सकी, उसके रूप में वहां के निवासी अपने पुत्र की रक्षा के लिए घुघुती के रूप में मकर संक्रांति के पर्व को मनाते हैं। साथ ही वहां नदी में स्नान कर खूब दान-पुण्य करते हैं। सूर्य को अर्घ देते हैं और इसकी मान्यता का बखान करते हैं।

उत्तरैणी-मकरैणी उत्तराखंड के लिए क्यों है खास

उत्तराखंड में उत्तरैणी-मकरैणी का त्यौहार बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है, जिससे भारत के अन्य राज्य में मकर संक्रांति का पर्व कहा जाता है। यहां के लोग ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पौराणिक नदियों में स्नान करते हैं। सूर्य को अर्घ देते हैं और अपने परिवार समाज की कुशलता का वरदान पाते हैं।

सर्दी चाहे कितनी भी हो वह इस नियम का पालन अवश्य करते हैं। तत्पश्चात ढोल नगाड़ों के साथ अपने देवी-देवताओं की पूजा आराधना अपने-अपने नगर कस्बे में करते हैं। कई जगह मेलों का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें सांस्कृतिक, धार्मिक कार्यक्रम होते हैं।

दान पुण्य का विशेष महत्व होने के कारण यहां के लोग विशाल भंडारे का भी आयोजन करते हैं और जरूरतमंदों को भोजन करा कर अपने जीवन में पुण्य लाभ कमाते हैं।

गुर्जर समुदाय के लिए खास है मकर संक्रांति

हर एक घर परिवार समाज में कुछ ऐसी बातें परिस्थितियां होती है कि कुछ अपने हमसे नाराज हो जाते हैं। कुछ मतभेद उन्हें हमारे आपसी दूरियों को बढ़ा देता है। गुर्जर समुदाय में उन दूरियों और मतभेदों को दूर करने का अवसर मकर संक्रांति लेकर आता है।

इस समाज में मकर संक्रांति को विशेष महत्व दिया जाता है जिसमें धार्मिक और पौराणिक मान्यता तो शामिल है ही, वह परिवार को मनाने और अपनों को अपने और करीब लाने का अवसर भी लेकर आता है।

सुबह-सुबह घर परिवार में पुए-पकवान, मिठाइयां तैयार किया जाता है। नहा धोकर देवी-देवताओं की पूजा आराधना की जाती है। फिर घर की बहू अपने बड़े बुजुर्गों को मनाने के लिए रुपए कैसे मिठाई उपहार आदि लेकर उन्हें मनाने के लिए निकल जाती है।

आज के दिन की मान्यता ऐसी है कि कोई भी रूठा हुआ मान ही जाता है। इसलिए गुर्जर समुदाय के लोग इस त्यौहार को अपने रूठे हुए लोगों को मनाने के रूप में मनाता है।

घर परिवार से निश्चिंत होकर सभी एकत्र हो गरीब जरूरतमंद लोगों को दान पुण्य करते हैं तथा विशाल भंडारे का आयोजन करते हैं। जिसमें गरीब और जरूरतमंद लोग भोजन करते हैं।

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समापन

उपरोक्त अध्ययन में हमने मकर संक्रांति के महत्व को विस्तारपूर्वक समझा तथा उससे संबंधित अनमोल वचन सुविचार और शुभकामना संदेश भी पढ़ा। अंततः यह ज्ञात होता है कि मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर अग्रसर होता है। यह अंधेरे से प्रकाश की ओर बढ़ने का संदेश है। मनुष्य को इससे प्रेरणा ग्रहण करना चाहिए और अपने जीवन में अंधकार रूपी समस्त बाधाओं को पीछे छोड़ देना चाहिए। सदैव निर्माण का लक्ष्य निर्धारित करते हुए उस लक्ष्य तक पहुंचना चाहिए।

मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य करने से जीवन में अनेकों लाभ तो मिलते ही हैं, साथ ही उन साधकों का जीवन भी सफल हो जाता है। इतना ही नहीं वह अगले जन्म में सुख समृद्धि और वैभव को प्राप्त करते हैं।

भारतीय त्यौहार विभिन्न मान्यताओं और प्रकृति के साथ तालमेल बैठा कर मनाया जाता है। मकर संक्रांति का त्यौहार भी उसी से संबंधित है।  तिल और गुड़ संक्रांति के शुभ अवसर पर खाने से व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। मांसपेशियां मजबूत होती है तथा अनेकों ऐसे तत्व शरीर को मिल जाते हैं जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाते हैं ऐसा वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध किया है।

आशा है उपरोक्त लेख आपको पसंद आया हो, इस लेख को अपने शुभचिंतकों तथा परिवार के सदस्यों के साथ साझा करें और उन्हें भी अपने धर्म संस्कृति से जोड़कर उन का मार्ग प्रशस्त करें। आप अपने विचार कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं जिन्हें हमारे अन्य पाठक भी पढ़ते हैं।

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